1 November 2020

6716 - 6720 लकीर सजना नाम आँख आँसू हिना मेहँदी शायरी

 

6716
मेहँदी जब तुम,
मेरे नामकी लगाती हो...
तो क्या इसे तुम अपने,
सहेलियोंको भी दिखती हो...

6717
हाथोंकी लकीरोंमें,
उनका नाम नहीं...
फिर भी हम मेहँदीसे,
लिख लिया करते हैं...!

6718
कैसे भूल जाऊँ मैं उसको,
जो चाहता हैं इस कदर...
हथेलीकी मेहँदीमें लिखा हैं,
उसने मेरा नाम छिपाकर...

6719
इन हाथोंमें लिखके,
मेहँदीसे सजनाका नाम...
जिसको मैं पढ़ती हूँ,
सुबह शाम.......!

6720
उसकी हाथोंकी मेहँदीका,
रंग बड़ा गहरा हैं...
फिर भी आँखोंमें,
कुछ बूँद आँसू ठहरा हैं...

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