23 November 2020

6796 - 6800 दुनिया सजा यार बातें अफसाने हिज्र दामन शायरी

 
6796
दामनको ज़रा,
झटक तो देखो…
दुनिया हैं कुछ,
और शय नहीं हैं…
         अहमद महफ़ूज़

6797
जो बात हिज्रकी आती तो,
अपने दामनसे;
वो आँसू पोंछता जाता था…
और मैं रोता था…….
नज़ीर अकबराबादी

6798
अपने दामनकी,
कुछ ख़बर हैं मजीद…
सोचकर ख़ुदको,
पारसा कहिए…….
     अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

6799
सुनेगा कौन मेरी,
चाकदामानीके अफसाने…
यहाँ सब अपने अपने,
पैरहनकी बातें करते हैं…….

6800
ऐ ख़ुदा, मेरे यारका,
दामन ख़ुशियोंसे सजा दे…
उसके जन्मदिनपर,
उसीकी कोई रज़ा दे…….

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