6771
दिलके हाथों,
मजबूर होकर मौका देते हैं...
तभी तो दिलमें बसने वाले,
धोखा देते हैं.......
6772
मेरी दिलकी दिवारपर,
तस्वीर हो तेरी...
और तेरे हाथोंमें
हो,
तकदीर मेरी.......!
6773
नहीं छोड़ सकते हम,
दूसरोंके हाथोंमें तुमको...
लौट आओ ना की हम,
अब भी तुम्हारे ही हैं.......
6774
जब-जब इसे
सोचा हैं,
दिल थाम लिया
मैंने...
इन्सानके
हाथोंसे,
इन्सानपै जो
गुजरी...
फिराक गोरखपुरी
हुए हैं इस कदर खम,
जमानेके हाथों...
कभी तीर थे अब,
कमां हो गए
हैं.......
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