2 November 2020

6721 - 6725 दिल नाम लकीर जिन्दगी अरमान दफन आशिक हिना मेहँदी शायरी

 

6721
मेरे हाथोंकी लकीरोंमें,
वो नहीं.......
उसके हाथोंकी मेहँदीमें,
मैं नहीं.......

6722
शादीमें लगी मेहँदीका,
रंग कभी नहीं छूटता हैं..
ऐसे मौकेपर ना जाने कितने,
आशिकोंका दिल टूटता हैं.......

6723
मेहँदी हाथोपें लगाकर,
वो मुस्करा रहीं थीं...
मेरे अरमानोंको दफन कर,
वो नया घर बसा रही थी.......

6724
हाथोंकी लकीरोंपर,
बड़ा गुरूर था ;
किसी औरके नामकी,
मेहँदीने तोड़ दिया.......

6725
माना कि सब कुछ पा लुँगा,
मैं अपनी जिन्दगीमें...
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ,
मेरे ना हो सकेंगे.......

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