27 November 2020

6816 - 6820 ज़िन्दगी इश्क मोहब्बत याद अश्क पलके तजुर्बा ग़ज़ल आँसू शायरी

 

6816
आया नहीं था कभी,
मेरी आँखसे एक अश्कभी...
मोहब्बत क्या हुई अश्कोंका,
सैलाब गया.......

6817
तू इश्ककी,
दूसरी निशानी देदे मुझको ;
आँसू तो रोज,
गिरके सूख जाते हैं.......

6818
तुम मुझे हँसी-हँसीमें,
खो तो दोगे...!
पर याद रखना, फिर...
आँसुओंमें ढ़ूंढ़ोगे.......

6819
आँसुओंसे पलके भिगा लेता हूँ,
याद तेरी आती हैं तो रो लेता हूँ l
सोचा की भुलादु तुझे मगर,
हर बार फ़ैसला बदल देता हूँ ll

6820
ज़िन्दगीकी ग़ज़लके शेरोंका...
आखिरी तजुर्बा तो आँसू हैं.......!

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