7211
दोस्त बेशक एक हो,
लेकिन ऐसा हो...
जो अल्फ़ाज़से ज्यादा,
खामोशीको समझें.......!
7212उम्रकी चादर,खींचकर उतार देते हैं ;ये कम्बख्त दोस्त,कभी बूढ़ा नहीं होने देते हैं lदोस्तोंसे बातें किया करो जनाब,ये वो हक़ीम हैं ;जो अल्फ़ाज़से इलाज कर देते हैं ll
7213
यह कहाँ की दोस्ती हैं,
कि बने हैं दोस्त नासेह...
कोई चारासाज होता,
कोई गमगुसार होता.......
मिर्जा गालिब
7214मैं वो ग़म-दोस्त हूँ,जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा...न निकला एक भी मेरे सिवा,उम्मीद-वारोंमें........हैदर अली आतिश
7215
ऐ दोस्त, तू मुझे...
गुनहगार साबित करनेकी,
ज़हमत ना उठा...l
बस ये बता, क्या-क्या कुबूल करना हैं,
जिससे दोस्ती बनी रहें.......ll