8986
बरसातक़ा बादल तो,
दीवाना हैं... क़्या ज़ाने,
क़िस राहसे बचना हैं...
क़िस छतक़ो भिग़ोना हैं...!
निदा फ़ाज़ली
8987अक़्लक़े भटक़े होऊँक़ो,राह दिख़लाते हुए...हमने क़ाटी ज़िंदग़ी,दीवाना क़हलाते हुए.......!आनंद नारायण मुल्ला
8988
दैर-ओ-हरम ही से,
दुनियाक़ो होशक़ी राहें मिलती हैं...
दैर-ओ-हरमक़े नामपें ही,
बन ज़ाते हैं दीवाने लोग़......!
रईस रामपुरी
8989ज़िनक़ा यक़ीन,राह-ए-सुकूँक़ी असास हैं...वो भी ग़ुमान-ए-दश्तमें,मुझक़ो फँसे लग़े.......हनीफ़ तरीन
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हर चंद अमरदोंमें,
हैं इक़ राहक़ा मज़ा...
ग़ैर अज़ निसा वले,
न मिला चाहक़ा मज़ा.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
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