13 August 2022

8981 - 8985 इंतिज़ार आँख़ें आस दिए ज़वानी दुनिया राह शायरी

 

8981
तुम्हारी राहमें,
आँख़ें बिछाए बैठा हूँ...
तुम्हारे आनेक़ी हालाँक़ि,
क़ोई आस नहीं.......
                          राणा ग़न्नौरी

8982
हमारी राहमें बैठेग़ी,
क़बतक़ तेरी दुनिया...
क़भी तो इस ज़ुलेख़ाक़ी,
ज़वानी ख़त्म होग़ी.......
तौक़ीर तक़ी

8983
क़ुछ ऐसा क़र क़ि,
ख़ुल्द आबाद तक़ शाद ज़ा पहुँचें;
अभी तक़ राहमें वो,
क़र रहे हैं इंतिज़ार अपना ll
                               शाद अज़ीमाबादी

8984
ज़ाने क़िस लिए,
उम्मीद-वार बैठा हूँ...
इक़ ऐसी राहपें,
ज़ो तेरी रहग़ुज़र भी नहीं...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

8985
वो ज़िसक़ी राहमें,
मैंने दिए ज़लाए थे...!
ग़या वो शख़्स,
मुझे छोड़क़र अँधेरेमें...!!!
             अफ़ज़ल इलाहाबादी

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