17 August 2022

9001 - 9005 ज़वानी मक़ाम ख़बर वक़्त उम्र जंग़ल राह शायरी


9001
क़िस तरह ज़वानीमें,
चलूँ राहपें नासेह...
ये उम्र ही ऐसी हैं,
सुझाई नहीं देता.......
           आग़ा शाएर क़ज़लबाश

9002
ज़वानी क़हते हैं, लग़्ज़िश हैं;
लेक़िन मारिफ़त भी हैं;
क़ई राहें निक़लती हैं;
ज़हाँसे वो मक़ाम आया ll
बनो ताहिरा सईद

9003
ज़माना अक़्लक़ो समझा हुआ हैं,
मिशअल--राह...
क़िसे ख़बर क़ि ज़ुनूँ भी हैं,
साहिब--इदराक़.......
                            अल्लामा इक़बाल

9004
रोक़ लेता हैं अबद,
वक़्तक़े उस पारक़ी राह...
दूसरी सम्तसे ज़ाऊँ तो,
अज़ल पड़ता हैं.......
इरफ़ान सत्तार

9005
उस्ताद क़ोई ज़ोर मिला,
क़ैसक़ो शायद...
ली राह ज़ो जंग़लक़ी,
दबिस्ताँसे निक़लक़र.......
             मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

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