10111
यार तस्वीरमें तन्हा हूँ,
मगर लोग मिले;
कई तस्वीरसे पहले,
कई तस्वीरके बाद...
उमैर नजमी
10112
देरतक आँख,
मुसीबतमें पड़ी रहती हैं...
तुम चले जाते हो,
तस्वीर बनी रहती हैं...
फौज़िया रबाब
10113
जिस शख़्ससे शदीद,
मोहब्बत हो तुमको...
वो तस्वीरमें दिखाया गया हो,
किसीके साथ......
मुईद मिर्ज़ा
10114
उसकी तस्वीर,
बंद आँखोसे,
पहले बनती थी,
अब नहीं बनती ll
विशाल बाग
10115
वो तेरे खत, तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी;
इक बार तुझे अक़्लने चाहा था भुलाना,
सौ बार जुनूँने तिरी तस्वीर दिखा दी ll
माहिर-उल क़ादरी
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