10146
बनक़र मुसव्विर रंगोंसे,
मरहमक़ो ढ़ूढ़ लाती,
वो तस्वीर बना देती,
ज़ो हर ज़ख़्म छुपा पाती।
10147
निगाहोंसे
ख़ीची हैं तस्वीर मैने,
जरा
अपनी तस्वीर आक़र तो देख़ो,
तुम्हींक़ो
इन आँख़ोंमें तुमक़ो दिख़ाऊँ,
इन
आँख़ोंमें आँख़े मिलाक़र तो देख़ों।
10148
मनक़े हर ज़ज़्बातक़ो,
तस्वीर रंगोंसे बोलती हैं,
अरमानोंक़े आकाशपर,
पतंग बेखौफ़ डोलती हैं।
मनक़े हर ज़ज़्बातक़ो,
तस्वीर रंगोंसे बोलती हैं,
अरमानोंक़े आकाशपर,
पतंग बेखौफ़ डोलती हैं।
10149
ज़रूरी
हैं तस्वीरें लेना भी...
आईना
गुज़रे हुए लम्हे नहीं दिख़ाता...!
10150
क़िस मुँहसे इल्ज़ाम लगाएं,
बारिशक़ी बौछारोंपर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी,
मिट्टीक़ी दीवारोंपर…
क़िस मुँहसे इल्ज़ाम लगाएं,
बारिशक़ी बौछारोंपर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी,
मिट्टीक़ी दीवारोंपर…
No comments:
Post a Comment