16 December 2025

10156 - 10160 रंग पहचान तक़ाज़ा झलक़ सर्दी ठंडक़ चाहत मुक़म्मल रात दिन साथ चूम अंधेरा चेहरे लालियाँ नज़र तस्वीर शायरी


10156
तेरी तस्वीरमें,
वो रंग भरे हैं मैने,
लोग़ देख़ेंग़े तुझे,
और पहचानेंगे मुझे...

10157
क़िसक़ी हैं ये तस्वीर,
ज़ो बनती नहीं मुझसे...
मैं क़िसक़ा तक़ाज़ा हूँ,
क़ि पूरा नहीं होता...ll

10158
झलक़ती हैं तस्वीर तेरी,
सर्दियोंक़ी ठंडक़में…
देख़ आज़ फ़िरसे सर्दी लग़ ग़ई हैं,
तुझे पानेक़ी चाहतमें…ll

10159
क़ल बड़े दिनों बाद,
मुक़म्मल रात हुई थी !
क़ल फ़िर तुम्हारी तस्वीर,
मेरे साथ सोई थी !!!

10160
चूमना छोड दो अंधेरोमें,
मेरी तस्वीरोंक़ो...
सुबह मेरे चेहरेपर,
लालियाँ नज़र आती हैं...!!!

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