12 December 2025

10136 - 10140 जमाल जबां आँख आँसू उम्मीद नजर ज़ंजीर बातें गुफ़्तगू शख़्स दिल तन्हा मुस्कुरा किस्मत तस्वीर शायरी

 
10136
तेरे जमालकी,
तस्वीर खींच दूँ लेकिन,
जबांमें आँख नहीं,
आँखमें जबां नहीं...

                जिगर मुरादाबादी

10137
जब जब तुमसे मिलनेकी उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरोंमें ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखोंसे हजारों आँसू,
हर आँसूमें आपकी तस्वीर नजर आई।

10138
भले ही तुम हमसे,
बातें करो या ना करो...
तुम्हारी तस्वीरसे हम रोज,
गुफ़्तगू किया करते हैं !

10139
जो शख़्स हैं दिलमें मेरे,
क्या हैं वो मेरी तकदीरमें भी?
देखो ना कितना तन्हा हूँ मैं,
मुस्कुराती हुई तस्वीरमें भी...

10140
मुस्कुराहटें किस्मतमें होनी चाहिये,
तस्वीरमें तो हर कोई मुस्कुराता हैं।

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