5 July 2017

1476 - 1480


1476
हर रात जान-बुझकर रखता हूँ
दरवाजा खुला . . . !
शायद कोई लूटेरा,
मेरा गम भी लूट ले !!!
1477
जीनी थी जो तेरे साथ, अभी वो शाम बाकि है,
पीना था जो तेरी आँखों से, अभी वो जाम बाकि है,
वादा किया था हमने जो, तुझको भुला के जीने का,
खुद को मिटाने का, अभी वो काम बाकी है !
1478
मत पूछो शिशे को उसकी...
टूट जाने कि वज़ह,
उसने भी किसी पत्थर को,
अपना समझा होगा...!
1479
सौ दुशमन बनाए हमने,
किसी ने कुछ ना कहा,
एक को हमसफर क्या बनाया,
सौ उँगलियाँ उठ गई.......
1480
बहुत शौक था...
सबको जोड़ के रखने का जफर।

होश तब आया जब,
अपने वजूद के टुकड़े देखे।

4 July 2017

1471 - 1475


1471
शाम होते ही चिरागोंको बुझा देता हूँ,
मेरा दिल ही काफी है...
तेरी याद मे जलने के लिए...

1472
तुम मुझसे दोस्ती का मोल,
मत पूछना कभी,
तुम्हे किसने कहा,
की पेड़ छाँव बेचते है ?

1473
यूँ तो मोहब्बत की सारी
हकीक़त से वाकिफ है हम,
पर उसे देखा तो सोचा
चलो ज़िन्दगी बर्बाद कर ही लेते है…

1474
ये लफ्ज़-ए-मोहब्बत है,
तुमसे बातो बातो मैं निकलते है जुबां से,
और लोग शायरी समझकर,
वाह वाह किया करते है...!

1475
आओ ना मिलकर खोदे कब्र दिल की,

कमबख्त बड़ी बड़ी ख्वाहिशें करने लगा है ...!!!

3 July 2017

1466 - 1470


1466
हम नही जीत सकॆ उनसॆ ...
वो ऎसी शर्त लगानॆ लगॆ ...
प्यारी सी आखॊं को ...
मेरी आखों सॆ लडानॆ लगॆ ...
हम शायद जीत भी जाते ...
पर पलकॆ हम ने तब झपकाई ...
जब उनकी पलकों सॆ आसू आनॆ लगॆ ...
1467
थम के रह जाती है जिन्दगी
 "तब".......
......."जब"...
 जम के बरसती हैं पुरानी यादें,
1468
तेरा ऐसा भी क्या रिश्ता है ?
दर्द‎ कोई भी हो...
याद‎ तेरी ही आती है.......
1469
मेरी रातें ...... मेरे दिन
सब ख़ाक हैं उनके बिन
1470
जब तक बिके नही थे हम
कोई पुछता न था

तुने खरीद के,
अनमोल कर दिया !

1461 - 1465


1461
शहर के तमाम इज्जतदारों ने कर ली खुदखुशी ।
जब एक
बदनाम औरत ने आत्मकथा लिखनी चाही अपनी ।।

1462
"बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत मेँ...,
तू परखती रहीं...
और हमने जिँदगी यकीन मेँ गुजार दी...."

1463
बिन उनके
यूँ तो हम अधूरे नहीं हैं.....!!
पर जाने फ़िर भी क्यूँ...
हम पूरे भी नही है.......!!

1464
बड़ी तब्दीलिया लाया हूँ
अपने आप मे लेकिन,
बस तुमको याद करने की
वो आदत अब भी है...

1465
हमारे दिल के दफ़्तर में,
तबादले कहाँ हुज़ूर ?...

यहाँ जो एक बार आया,
बस यहीं रह गया…

1 July 2017

1456 - 1460


1456
जिंदगी में कभी किसी
बुरे दिन से सामना हो जाए
तो इतना हौसला ज़रूर रखना कि
दिन बुरा था, जिंदगी नहीं...!

1457
"कांटो सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई l

1458
सिर्फ सांसें चलते रहने को ही
ज़िंदगी नहीं कहते.....!
आँखों में कुछ ख़्वाब और
दिल में उम्मीदें होना भी ज़रूरी हैं.......!

1459
आज एक दुश्मन ने
मेरे गले लग के कहा
यार...
इतना मत मुस्कुराया कर
बहुत जलन होती है...

1460
एहसास थकन का मुझे
पल भर नहीं होता ;

रस्ते में अगर...
मील का पत्थर नहीं होता...!

1451 - 1455


1451
मेरा और उस "चाँद" का
मुकद्दर एक जैसा है "दोस्त",,,!!
वो "तारों" में तन्हा,
मै "यारों" में तन्हा.....।।

1452
सो जाओ मेरी तरह तुम भी
गम को सीने मे छुपाकर
रोने या जागने से कोई मिलता
तो हम तनहा ना होते।

1453
हुए बदनाम फिर भी ,
ना सुधर पाये हम ,
फिर वही इश्क; वही शायरी और ...,
वही तुम।

1454
आखों कॆ परदॆ भी नम हो गयॆ है,
बातों कॆ सिलसिलॆ भी कम हो गयॆ है,
पता नही गलती किसकी है,
वक्त बुरा है या बुरे हम हो गयॆ है !

1455
दौलत नही, शोहरत नही,
न वाह चाहिए...
कैसे हो..?

दो लफ्ज की परवाह चाहिए...

29 June 2017

1446 - 1450


1446
प्यार में हमारे सब्र की
इंतेहा हो गयी.....
किसी और के लिये रोतें रोतें
वो मेरी बाहो में सो गयी...

1447
इश्क़ में ना जाने कब हम
हद से गुज़र गये,
कई सारे ख्वाब मेरी
आँखों में भर गये...

1448
बड़ी इबादत से पुछा था मैंने,
खुदा से जन्नत का पता...
थक कर नींद आयी तो खुदा ने,
माँ की गोद में सुला दिया…

1449
आपकी इस दिल्लगी मे,
हम अपना दिल खो बैठे...
कल तक उस खुदा के थे,
आज आप के हो बैठे.......

1450
कुछ वो हसीन है ,
कुछ मौसम रंगीन है ,

तारीफ करूँ या चुप रहूँ ,
जुर्म दोनो संगीन है !!!

28 June 2017

1441 - 1445


1441
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई,
पर खुश ना हो सके,
एक दिन एहसास हुआ,
खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बांट रहे थे !

1442
जब वक्त की धड़कन को थाम लेता है कोई,
जब हम सोते है रातों में और नाम लेता है कोई,
मोहब्बत उनसे बेइंतहा हो जाती है दोस्तो.....
जब हम से बेहतर हमें जान लेता है कोई.......

1443
नज़रें छुपा कर क्या मिलेगा,
नज़रें मिलाओ,
शायद...
हम मिल जाए.......!

1444
उसके सिवा किसी और को चाहना
मेरे बस में नहीं है ,
ये दिल उसका है ,
अपना होता तो बात और होती ।

1445
भुला कर दर्द-ओ-गम ज़िंदगी के...
इश्क़ के खुमार में जी लेंगे ,
बसा कर मोहब्बत का आशियाना,

यादों के हिसार में जी लेंगे ...!

26 June 2017

1436 - 1440


1436
कोई तो मिला जिसने,
सौदा करना सिखा दिया...
वर्ना बड़े अदब से
हर चीज खरीद लेता था...!

1437
सीख रहा हूँ मै भी, अब...
मीठे झूठ बोलने की कला...!
कड़वे सच ने हमसे, ना जाने...
कितने अज़ीज़ छीन लिए.....॥

1438
ख़्वाहिशें जो चल न सकी जमीं पर,
ख़्वाबों के परिंदे बन लौट आई है...
शाम ढलने पर !!!

1439
उड़ा भी दो सारी रंजिशें
इन हवाओं में यारो,
छोटी सी जिंदगी है
नफ़रत कब तक करोगे !!

1440
जहाँ में कुछ सवाल
जिंदगी ने ऐसे भी छोङे है,
जिनका जवाब हमारे पास...
सिर्फ खामोशी है !!!

25 June 2017

1431 - 1435


1431
अपने वजूद पर
इतना न इतरा ऐ-जिंदगी,
वो तो मौत है...
जो तुझे मोहोलत देती जा रही है ।

1432
लूट लॆतॆ है अपनॆ ही,
वरना गैंरों को क्या पता,
की दिल की दिवार
कहा सॆ कमजोर है ...।

1433
वास्ता नहीं रखना तो;
नज़र क्यों रखती हो,
किस हाल में हूँ ज़िंदा,
ये ख़बर क्यों रखती हो...

1434
घड़ी-घड़ी वो हिसाब करने बैठ जाते हैं.......!!
जबकि पता है, जो भी हुआ, बेहिसाब हुआ.......!!

1435
यूही किसी की याद मे रोना फ़िज़ूल है,
इतने अनमोल आसू खोना फ़िज़ूल है,
रोना है तो उनके लिये जो हम पे निसार है,

उनके लिये क्या रोना जिनके आशिक़ हज़ार है...!

1426 - 1430


1426
जो आँखों मे रहते हैं, उन्हे याद नही करतें;
जो दिल मे रहते हैं, उनकी बात नही करतें;
उन्हे क्या पता, की हमारी रूह मे वो बस चुके हैं,
तभी तो मिलनें की हम, फरियाद नही करते !

1427
अकेले हम ही शामिल नहीं है
इस जुर्म में जनाब…
नजरे जब मिली थी......
मुस्कराए तुम भी थे !!!

1428
उनकी यादों को हमने सूफ़ियाना रखा,
अपने दिल में उनका आशियाना रखा,
जितनी बार हमने उनसे मिलने की कोशिश की,
उसने हर बार एक नया बहाना रखा...

1429
कोई कह दे उनसे जाकर,
की छत पे ना जाया करे ...
शहर मे बेवजह,
ईद की तारीख बदल जाती है .......

1430
एक बीज " मोहब्बत " का
क्या बो दिया यारो ,,,
सारी फसल " दर्द " की

काटनी पडी,,,,,,,

20 June 2017

1421 - 1425


1421
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,
जब बरसी ख़ुशियाँ . . .
न जाने भीड़ कहां से आ गई .......

1422
गुज़र गया आज का दिन भी
यूं ही बेवजह...
ना मुझे फुरसत मिली...,
ना तुझे ख़्याल आया...!

1423
आज समान के तारों ने मुझे पूछ लिया;
क्या तुम्हें अब भी इंतज़ार है उसके लौट आने का!
मैंने मुस्कुराकर कहा;
तुम लौट आने की बात करते हो;
मुझे तो अब भी यकीन नहीं उसके जाने का !

1424
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ,
अब दिल चाहता है,
तुझको भी इक झलक देखूँ...

1425
खुद को लिखते हुए,
हर बार लिखा है 'तुमको'
इससे ज्यादा कोई
जिंदगी को क्या लिखता !!

19 June 2017

1416 - 1420


1416
सिलसिला खत्म क्यों करना,
जारी रहने दो,
इश्क़ में बाक़ी थोड़ी बहुत,
उधारी रहने दो...

1417
आज भी प्यारी है,
मुझे तेरी हर निशानी ...
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो,
या आँखो का पानी...!

1418
आँखों में दोस्तो जो पानी है,
हुस्न वालों की ये मेहरबानी है,
आप क्यों सर झुकाए बैठे हैं,
क्या आपकी भी यही कहानी है ...?

1419
सोचा ना था,
वो शख्स भी इतना जल्दी साथ छोङ जाएगा.......!
जो मुझे उदास देखकर कहता था
"मैँ हू ना".....!!

1420
मुद्दतों बाद जब उनसे बात हुई
तो मैंने कहा...
कुछ झूठ ही बोल दो...

और वो हँस के बोले,
तुम्हारी "याद" बहुत आती है.......