13 August 2017

1651 - 1655 दिल मोहब्बत अदा इश्क आँख प्यार आईना दीवाने जादू बेफिक्र मशरूफ ज़माने शायरी


1651
मुझे उन आँखोंमें कभी,
आँसु अच्छे नहीं लगते...
जीन आँखोंमें अकसर,
खुदके लिये प्यार देखता हैं l

1652
जबसे देखा हैं,
तेरी आँखोंमें झाककर,
आईना अच्छा नहीं लगता,
मोहब्बतमें ऐसे हुए हैं दीवाने,
तुम्हें कोई देखे, तो अच्छा नहीं लगता l

1653
न जाने क्या जादू हैं,
उसके पाक इश्क और अदाओंमें...!
बेफिक्र हूँ ज़मानेसे और,
मशरूफ हूँ उसकी मोहब्बतमें.......!

1654
"तमाम उम्र अकेलेमें,
तुझसे बातें कीं,
तमाम उम्र तेरे रूबरू,
खामोश रहे...!"

1655
गज़बकी धुप हैं शहरमें,
फिर भी पता नहीं,
लोगोंके दिल यहां,
क्यों नहीं पिघलते...

12 August 2017

1646 - 1650 ज़िन्दगी परछाई मुद्दत आँख़े ख्वाब ख़्वाहिश रूह रंगत लम्हा वादे अजीब चीज शायरी


1646
छुआ था मुद्दतों पहले,
उनकी परछाईने एक पल,
हमारी रूह--रंगत,
अभी तक जाफ़रानी हैं...!
 
1647
मेरी ज़िंदग़ी तेरे साथ,
शुरू तो नहीं हुई l
पर ख़्वाहिश हैं,
ख़त्म तेरे साथ हीं हो ll
 
1648
मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखोंको एक ख्वाब दिखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यारमें जीना सिखाया आपने l
 
1649
ज़िन्दगीमें बहुत ऐसे लोग होते हैं ,
जो ... वादे तो नही करते,
लेकिन...
सब कुछ निभा जाते हैं !!!
 
1650
पानी भी क्या अजीब चीज हैं...
नजर उन आँखोमें आता हैं,
जिनके खेत सुखे हैं.......

10 August 2017

1641 - 1645 दिल इश्क़ नाकाम किनारा मौत उम्र काम जज़्बात नज़रे मुस्कुराहट मोहब्बत शायरी


1641
मै,कहता हूँ,
मोहब्बतसे किनारा कर लूँ...
और दिल कहता हैं,
ये मोहब्बत दोबारा कर लूँ.......

1642
इतनी लम्बी उम्रकी दुआ ,
मत माँग मेरे लिये...
ऐसा ना हो कि तू भी छोड दे,
और मौत भी ना आए...!

1643
बात तो सिर्फ जज़्बातोंकी हैं,
वरना...
मोहब्बत तो सात फेरोंके बादभी,
नहीं होती...!!!

1644
बहोत मोहब्बत करती थी,
वो मेरी मुस्कुराहटसे...
इसलिए जाते जाते,
उसे भी साथ ले गयी.......

1645
झुकाली उन्होंने नज़रे,
जब मेरा नाम आया.......
इश्क़ मेरा नाकाम ही सही,
पर कही तो काम आया.......

9 August 2017

1636 - 1640 दुनियाँ अजनबी तकलीफ इन्सान ज़रूरत साथ दिये साजिशें उजाला धोखे चेहरा हकीकत फरेब मुहब्बत शायरी


1636
इस दुनियाँमें,
अजनबी रहनाही ठीक हैं...
लोग बहुत तकलीफ देते हैं,
अक्सर अपना बनाकर...!!

1637
इन्सान सब कुछ भूल सकता हैं,
सिवये उन पलोंके;
जब उसे अपनोकी ज़रूरत थी,
और वे साथ नहीं थे .......

1638
जो जले थे हमारे लिऐ,
बुझ रहे हैं वो सारे दिये,
कुछ अंधेरोंकी थी साजिशें,
कुछ उजालोंने धोखे दिये...!

1639
दिल नहीं चेहरा देखते हैं,
आजकलके लोग;
हकीकतसे नहीं फरेबसे,
मुहब्बत करते हैं...

1640
न जाने क्यों ये रात,
उदास कर देती हैं हर रोज...!
महसूस यूँ होता हैं जैसे,
बिछड़ रहा हैं कोई धीरे धीरे...!

8 August 2017

1631 - 1635 मोहब्बत दुनियाँ नसीब चाहतें तन्हाई रिश्ते शर्त साजिशें शरारतें बिखर बात खेल


1631
हर किसीके नसीबमें,
कहाँ लिखी होती हैं चाहतें...,
कुछ लोग दुनियाँमें आते है,
सिर्फ तन्हाईयोंके लिए...!

1632
हर रिश्तेमें सिर्फ नूर बरसेगा...
शर्त बस इतनी हैं कि
रिश्तेमें शरारतें करो,
साजिशें नहीं...।

1633
क्यूँ खेलते हैं वो हमसे,
मोहब्बतका खेल,
बात बातमें रूठ वो जाते हैं,
और टूटकर बिखर जाते हैं हम !!!

1634
रखा करो नजदीकियाँ...
ज़िन्दगीका कुछ भरोसा नहीं...
फिर मत कहना चले भी गए,
और बताया भी नहीं...

1635
तन्हाई... सौ गुना बेहतर हैं...
झूठे वादोंसे ...
झूठे लोगोंसे .......

7 August 2017

1626 - 1630 मोहब्बत इश्क़ लब गाल नजर फासले सफर मयखाने दफ़्न वादा किताब याद हिचकियाँ शायरी


1626
लबौसे गाल, फिर तेरी,
नजर तक का सफर, तौबा...!
बहुत कम फासले पर,
इतने मयखाने नहीं होते ।।

1627
किताब ए इश्क़में
क्या कुछ दफ़्न मिला,
मुड़े हुए पन्नोंमें एक...
भूला हुआ वादा मिला !!!

1628
तुम लाख भुलाकर देखो मुझे...
मैं फिर भी याद आऊँगी,
तुम पानी पी पीकर थक जाओगे,
मैं हिचकियाँ बनकर सताउंगी.......

1629
सुकून मिल गया मुझको,
बदनाम होकर...
आपके हर इक इल्ज़ामपें,
यूँ बेजुबां होकर...
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखोंमें,
मेरी मोहब्बत...
चाहे कर दो इनकार,
अंजान होकर.......

1630
रोज़ रोज़ जलते हैं,
फिरभी खाक़ नहीं हुए;
अजीब हैं कुछ ख़्वाब,
बुझकर भी राख़ न हुए...!

6 August 2017

1621 - 1625 दिल दुनियाँ जिंदगी बात शख्स अफसाने बुरा खुदा रिश्ता तमन्ना आँचल गैर शायरी


1621
क्या बात करे इस दुनियाँकी,
"हर शख्सके अपने अफसाने हैं ;
जो सामने हैं, उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नहीं उसे सब "खुदा" कहते हैं...

1622
"लोग अपना बनाके छोड़ देते हैं,
अपनोंसे रिश्ता तोड़कर, गैरोंसे जोड़ लेते हैं,
हम तो एक फूल ना तोड़ सके,
ना जाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं......."

1623
तमन्नाने जिंदगीके आँचलमें,
सर रख कर पूछा, "मैं कब पूरी होऊँगी...?"
जिंदगीने हँसकर कहा...
"जो पूरी हो जाये वह तमन्ना ही क्या...?"

1624
शुक्र करो कि
दर्द सहते हैं लिखते नहीं,
वर्ना कागजोंपें
लफ्जोंके जनाजे उठते...

1625
"रुकावटें तो जनाब,
ज़िन्दा इन्सानके हिस्सेमें ही आती हैं,
वर्ना अर्थीके लिए,
रास्ता तो सभी छोड़ देते हैं..."

5 August 2017

1616 - 1620 जिन्दगी खूबसूरत पल याद पलक आँसु रिश्ते शौहरत मौहलत इंसान शुक्रिया दुआ शायरी


1616
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं,
पलकोंपर आँसु छोड जाते हैं,
कल कोई और मिले हमें न भुलना,
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगीभर याद आते हैं l

1617
दोस्तीका शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करू,
खुदाने बस इतना सिखाया हैं मुझे,
कि खुदसे पहले आपके लिए दुआ करू !

1618
"रब" ने नवाजा हमें जिंदगी देकर,
और हम "शौहरत" मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरतके पीछे,
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये...।

1619
ये 'कफन', ये 'जनाज़े', ये 'कब्र',
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त...
वरना मर तो इंसान तभी जाता हैं ,
ब याद करनेवाला कोई ना हो...!

1620
ये समंदर भी, तेरी तरह,
खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा थे तो तैरने न दिया
और मर गए तो डूबने न दिया . . .

1611 - 1615 दिल प्यार जिन्दगी भूल माफ़ खता गम बेवफा दरार बेवफा अफ़सोस नाम शायरी


1611
हर भूल तेरी माफ़ की...
हर खताको तेरी भुला दिया...
गम हैं कि, मेरे प्यारका,
तूने बेवफा बनके सिला दिया...l

1612
यहाँ हर किसीको,
दरारोंमें झांकनेकी आदत हैं...
दरवाजा खोल दो तो,
कोई पूछने तक नहीं आता.......

1613
गम इस बातका नहीं कि तुम बेवफा निकली,
मगर अफ़सोस ये हैं कि,
वो सब लोग सच निकले ,
जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा करता था...

1614
चलो ये जिन्दगी,
अब तुम्हारे नाम करते हैं,
सूना हैं कि बेवफा की,
बेवफासे खूब बनती हैं.......

1615
क़भी चुपकेसे,
मुस्कुराकर देखना l
दिलपर लगे पहरे,
हटाकर देख़ना, l
ये ज़िन्दग़ी तेरी,
खिलखिला उठेगी l
ख़ुदपर कुछ लम्हें,
लुटाकर देखना...l

3 August 2017

1606 - 1610 दिल दुनियाँ ज़िन्दगी कम्बखत मुलाकात लम्हे पंख गम जख्म दुआ शायरी


1606
माना की चन्द लम्होंकी,
मुलाकात थी ।
मगर सच ये भी हैं,
वो लम्हे ज़िन्दगी बन गए !!!

1607
इस बार तुम जाओ,
तो उनके पंख मत कतरना;
तुम्हारे बाद ये लम्हे,
बस रेंगते रहते हैं.......

1608
छोटेसे दिलमें गम बहुत हैं ,
जिन्दगीमें मिले जख्म बहुत हैं ,
मार ही डालती कबकी ये दुनियाँ हमें ,
कम्बखत दोस्तोंकी दुआओंमें दम बहुत हैं l

1609
जहां हो, जैसे हो, वहीं...
वैसे ही रहना तुम l
तुम्हें पाना जरुरी नहीं,
तुम्हारा होना ही काफी हैं l.......

1610
तेरे जानेके बाद,
कौन रोकता मुझे;
जी भरके खुदको,
बरबाद किया.......

2 August 2017

1601 - 1605 दिल काबिल अफसोस यकीन हुस्न यार आँख कुसूर शिकायत इल्तिजा हाल शायरी


1601
मैं इस काबिल तो नहीं...
कि कोई अपना समझे,
पर इतना यकीन हैं,
कोई अफसोस जरूर करेगा...
मुझे खो देनेके बाद.......l

1602
देखा जो हुस्न-ए-यार,
तबीअत मचल गई...
आँखोंका था कुसूर,
छुरी दिलपें चल गई.......

1603
न तुमसे कोई शिकायत हैं,
बस इतनीसी इल्तिजा हैं...
जो हाल कर गये हो,
कभी आके देख जाना.......

1604
मुँह कि बातें सुने हर कोई,
दिलका दर्द जाने कौन...
आवाजोंके बाज़ारोंमें,
खामोशी पहचाने कौन.......

1605
इस तरह मिली वो मुझे,
सालोंके बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो,
ख़यालोंके बाद,
मैं पूछता रहा उससे,
ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई,
मेरे सवालोंके बाद...l

1596 - 1600 दिल जख़्म मरहम ग़म इलाज़ दवा इश्क मुहब्बत बात याद आँख ख्वाब उम्र शायरी


1596
किसीके जख़्मका मरहम,
किसीके ग़मका इलाज़...
लोगोंने बाँट रखा हैं मुझे,
दवाकी तरह.......

1597
इश्क, मुहब्बत क्या हैं...?
मुझे नहीं मालूम... बस .....
तुम्हारी याद आती हैं...
सीधीसी बात हैं.......

1598
आये हो आँखोंमें तो,
कुछ देर तो ठहर जाओ;
एक उम्र लग जाती हैं,
एक ख्वाब सजानेमें...!

1599
हर एक बातपें कहते हो तुम,
की तुम क्या हो...
तुम्ही कहो कि यॆ,
अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या हैं...?

1600
कब उनकी आँखोंसे,
इज़हार होगा...,
दिलके किसी कोनेमें,
हमारे लिए प्यार होगा...,
गुज़र रही हैं रात,
उनकी यादमें...,
कभी तो उनको भी,
हमारा इंतज़ार होगा...!