2711
कमी तो होनी
ही हैं,
पानीकी शहरमें.......
न किसीकी
आँखमें बचा
हैं,
न किसीके
जज़्बातमें...!
2712
रोज जले फिर
भी
ख़ाक न हुए...
अजीब हैं कुछ
ख्वाब,
जो जलके भी राख
न हुए...
2713
कुछ चीज़ें
कमज़ोरकी
हिफाज़तमें भी
महफूज़ हैं,
जैसे मिट्टीकी गुल्लकमें,
लोहेके
सिक्के.......!
2714
काश यह जालिम
जुदाई न होती !
ऐ खुदा तूने
यह चीज़ बनायीं
न होती !
न हम उनसे
मिलते न प्यार
होता !
ज़िन्दगी
जो अपनी थी
वो परायी न
होती !!!
2715
बेवजह हम वजह
ढूंढ़ते हैं,
तेरे
पास आनेको;
ये दिल बेकरार
हैं,
तुझे धड़कनमें बसानेको;
बुझी नहीं प्यास,
इन होंठोंकी
अभी;
न जाने कब
मिलेगा सुकून,
तेरे इस
दीवानेको।