1 March 2020

5536 - 5540


5536
इक बार छुं लुं तुमको,
की मुझे यकीन जाये...
लोग कहते हैं,
मुझे सायेंसे मोहब्बत हैं...!

5537
जिस नजाकतसे लहरे,
पैरोंको छूती हैं...
यकीन नही होता;
इन्होने कभी कश्तियाँ,
डूबाई  होगी.......

5538
अब यकीनका हाल,
ये बन चुका हैं की...
डर घावोंसे नहीं,
लगावोंसे लगने लगा हैं...!

5539
यकीन ही उठ गया तो,
यह राह तू छोड दे ग़ालिब...
हमारे यहाँ रिवाज़ हैं,
इंतज़ार क़यामत तक होता हैं.......

5540
उसीका शहर,
वही खुदा और उसके ही गवाह...
मुझे यकीन था,
की कुसूर मेरा ही निकलेगा.......

29 February 2020

5531 - 5535



5531
ग़लतियाँ इतनी करो कि,
गुंजाइश रहे...
गिले हो मगर,
गलतफहमियाँ हो...!

5532
मैं चुप रहा और,
गलतफहमियाँ बढती गयी...
उसने वो भी सुना जो,
मैंने कभी कहा ही नहीं...!

5533
कुछ यकीन पड़े होते हैं.
गलतफहमियोंके कमरोंमें...
और कुछ गलतफहमियाँ,
टहलती हैं यकीनोंमें.......

5534
ठंड बहुत हैं,
चलो ऐसा करें...
कुछ गलतफहमियोंको,
आग लगाएँ.......

5535
करीब आओगे तो,
शायद हमें समझ लोगे...
ये फासले तो खामख्वाह,
ग़लतफ़हमियाँ बढ़ाते हैं.......

28 February 2020

5526 - 5530 किस्मत तक़दीर एहसान यार कीमत दुनिया मुस्कान आशिक़ इश्क़ बेवफा फिदा खुशी दर्द शायरी


5526
तक़दीर लिखनेवाले एक एहसान करदे,
मेरे यारकी तक़दीरमें एक और मुस्कान लिख दे ;
न मिले कभी दर्द उनको,
तू चाहे तो उसकी किस्मतमें मेरी जान लिख दे !!!

5527
दर्द न होता तो,
खुशीकी कीमत न होती...
अगर मिल जाता सब-कुछ केवल चाहनेसे,
तो दुनियामें ऊपरवालेकी जरूरत ही न होती...!

5528
शख्स दर्द लेकर नही,
निकलते हैं इश्क़-ए-बाजारमें...
किसकी बेवफाई,
शायर बना देती हैं...!

5529
दर्दकी अपनीही एक अदा हैं,
वो सहनेवालेंपें हमेशा फिदा हैं...!

5530
आशिक़ नया नया हूँ,
सहज सहज सीखता जाऊँगा...
जितना गहरा दिलमें दर्द होगा,
उतना गहरा लिखता जाऊँगा...

26 February 2020

5521 - 5525 दिल दुश्मनी जिंदगी याद अल्फ़ाज़ दर्द शायरी


5521
हम उनसे तो लड़ लेंगे,
जो खुले आम दुश्मनी करते हैं...
लेकिन उनका क्या करे,
जो लोग मुस्कुराके दर्द देते हैं...

5522
सारी रात तुम्हारी यादोंमें,
खत लिखते रहे...
पर दर्दही इतना था की,
अश्क़ बहते रहे और अल्फ़ाज़ मिटते रहे...

5523
सोचता हूँ,
टूटा ही रहने दूँ इस दिलको...
शायरीमें कुछ,
दर्द तो लिखा जाता हैं.......!

5524
दर्दसे हमारी अगर,
दोस्ती होती...
शब्द होते मगर,
उनमें शायरी होती...!

5525
ऐसे भी दिन,
जिंदगीमें आते हैं...
जब दर्द बहुत होते हैं,
पर हमदर्द कोई नही होता...

25 February 2020

5516 - 5520 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत ज़ख्म आदत खामोशी गहराई दर्द शायरी


5516
तुम्हें क्या बताये,
इश्क़में मिलता हैं दर्द क्या...
मरहमभी पिघल जाते हैं,
ज़ख्मकी गहराई देखकर...

5517
इतना दर्द तो,
मरनेसे भी नहीं होगा...
ज़ितना दर्द तेरी खामोशीने,
दिया हैं मुझे.......

5518
शायरोंसे पुछो,
शायरी क्या होती हैं...
दर्द सहेने वालोंसे पुछो,
ज़ख्म क्या होती हैं...

5519
अब तो आदत बन चुकी हैं...
तुम दर्द दो और हम मुस्कुराएंगे...

5520
हमने कब माँगा हैं तुमसे,
अपनी वफ़ाओंका सिला...
बस दर्द देते रहा करो,
मोहब्बत बढ़ती जाएगी...!

5511 - 5515 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत फ़ितरत उसूल आँख ग़ज़ल दास्तान ख्वाहिश दर्द शायरी


5511
उनकी फ़ितरत हैं,
वो दर्द देने की रस्म अदा कर रहे हैं;
हम भी उसूलों के पक्के हैं,
दर्द सहकर भी वफ़ा कर रहे हैं...!

5512
सुना हैं लोग उसे आँख भरके देखते हैं,
सो उसके शहरमें कुछ दिन ठहरके देखते हैं;
सुना हैं दर्दकी गाहक हैं चश्म--नाज़ उसकी,
सो हम भी उसकी गलीसे गुज़रके देखते हैं...

5513
यह ग़ज़लोंकी दुनिया भी अजीब हैं,
यहाँ आँसुओंका भी जाम बनाया जाता हैं...
कह भी देते हैं अगर दर्द--दिलकी दास्तान,
फिरभी वाह-वाह ही पुकारा जाता हैं.......

5514
मिल जाती अगर सभीको,
अपने मोहब्बत की मंज़िल...
तो यक़ीनन रातोंके अँधेरोंमें,
कोई दर्द भरी गज़ल नहीं लिखता...!

5515
उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,
बिछड़के उसने मोहब्बतही अधूरी कर दी...
मेरे मुकद्दरमें दर्द आया तो क्या हुआ,
खुदाने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी...!

22 February 2020

5506 - 5510 दिल साज कीमत आँख अल्फ़ाज़ मुस्कुराना दर्द शायरी


5506
हमारा मुस्कुराना बस,
दर्दको छुपानेका बहाना हैं...
हमारे जैसे होनेकी,
कोशिशभी मत करना...

5507
जो साजसे निकली,
वो धुन सभी जानते हैं...
जो तारपे गुजरी,
वो दर्द किसे पता हैं...

5508
लोग मुझसे पूछते हैं,
दर्दकी कीमत क्या हैं...?
मै बोला मुझे पता नही,
लोग मुझे मुफ्तमें दे जाते हैं...!

5509
दर्द आँखोंसे निकला,
तो सबने कहा कायर हैं ये...
दर्द अल्फ़ाज़में क्या ढला,
सबने कहा शायर हैं ये...!

5510
जी चाहता हैं बंद कर दूं.
ये शायरियाँ लिखना...
दिल मेरा टुटा हैं,
दर्द आप सबको दे रहा हूँ...

20 February 2020

5501 - 5505 दिल ताउम्र सबक याद नियत नजाकत मुलाक़ात अहसास सब्र रिश्ते उम्र शायरी


5501
साथ ताउम्र निभानेवाला,
कोई नही होता हैं...
ख़ुदको सदा खुदही के साथ,
चलना होता हैं.......!

5502
सारी उम्र बस,
एक ही सबक याद रखना;
दोस्ती और दुवामें,
बस नियत साफ़ रखना...

5503
हर एक उम्रकी,
अपनी अपनी नजाकत हैं...
अपना अपना लहजा हैं...
दोस्तोंसे मुखातिब होना तो,
हर उम्रमें जायज हैं,
क्योंकि हर एक दोस्त,
भरपूर जीनेका एक मस्तसा जायका हैं...

5504
भेजते रहिए अपनेपनके रंग,
एक दूसरे तक...
मुलाक़ात हो हो,
अपनेपनका अहसास,
होता रहें ताउम्र।।

5505
उठेगा, चलेगा, दौड़ेगा भी,
सब्र रख...
रिश्तेको भी एक,
उम्र चाहिए.......!

5496 - 5500 दिल सनम मेहंदी इश्क़ अश्क़ वक़्त बरसात निशान ख्वाहिशें एहसास उम्र शायरी


5496
हमारी उम्रही कहाँ थी,
इश्क़ फरमानेकी...
दिलको तूने छू लिया,
और हम जवां हो गए...!

5497
ख़तरेके निशानसे ऊपर,
बह रहा हैं उम्रका पानी;
वक़्तकी बरसात है कि,
थमनेका नामही नहीं ले रही।

5498
ख्वाहिशें कुछ कुछ,
अधुरी रही...
पहले उम्र नही थी,
अब उम्र नही रही...

5499
जलता रहा सारी उम्र,
अधूरे अश्क़ लेकर...
बस तुझे मेरे इश्क़का,
एहसास हो तो पूरा हो जाऊं...

5500
किस उम्रमें आकर मिले हो,
तुम हमसे सनम...
जब हाथोंकी मेहंदी,
बालोंमें लग रही हैं...

19 February 2020

5491 - 5495 दिल किताब लिफाफे चिठ्ठी पैगाम लापरवाही आदत बेशक आशियाँ गुनाह जिंदगी शायरी


5491
अब मत खोलना,
मेरी जिंदगीकी पुरानी किताबोंको...
जो था वो मैं रहा नहीं,
जो हूँ वो किसी को पता नहीं...!

5492
बंद लिफाफेमें,
रखी चिठ्ठीसी हैं ये जिंदगी...
पता नहीं अगलेही पल,
कौनसा पैगाम ले आये...

5493
पता नही कब जाएगी,
तेरी लापरवाहीकी आदत;
पगली, कुछ तो सम्भालकर रखती...
मुझे भी खो दिया.......!

5494
पता नहीं क्या रिश्ता था,
टहनीसे उस पंछीका...
उसके उड़ जाने पर वो,
कितनी देर कांपती रही...

5495
दिल तो बेशक,
उनके हवाले किया मैंने।
मेरे मनको कब अपना आशियाँ बनाया,
ये हमें पता नहीं।
गुनाह तो बेशक किया था उन्होंने,
हमें सतानेका।
पर बेगुनाह कब उन्हें दिलने बनाया,
ये हमें पता नहीं

17 February 2020

5486 - 5490 दिल दुआ मजबूरी कसूर परख मुश्किल इम्तिहां हताश शायरी


5486
ये ग़लत कहाँ किसीने,
कि मेरा पता नहीं हैं;
मुझे ढूँढनेकी हद तक,
कोई ढूँढता नहीं हैं...!

5487
झुका लेता हूँ अपना सर,
हर मज़हबके आगे...
पता नहीं किस दुआमें,
तुझे मेरा होना लिखा हो...!

5488
पता नहीं,
कितने बचेंगे हम...
जब हममें से तुम,
घटाए जाओगे.......

5489
मैने रबसे कहाँ, वो छोड़के चली गई;
पता नहीं उसकी, क्या मजबूरी थी...
रबने कहाँ इसमें, उसका कोई कसूर नहीं;
यह कहानी तो मैने, लिखीही अधूरी थी...

5490
पता नहीं कैसे परखता हैं,
मेरा खुदा मुझे...
इम्तिहां भी मुश्किलही लेता हैं,
और हताश भी होने नहीं देता...!