24 May 2020

5916 - 5920 दिल जिन्दगी अफसाना बहाना हकीक़त आँखें ख़्वाब मुलाक़ात आरज़ू तमन्ना शायरी



5916
मुद्दतसे तमन्ना हुई अफसाना मिला,
हम खोजते रहें मगर ठिक़ाना मिला...
लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरोंक़े सामनेसे,
और उसे क़ो रुक़नेका बहाना मिला.......

5917
पलकोंमें कैद रहने दो सपनोंक़ो,
उन्हें तो क़ीक़तमें बदलना हैं;
इन आँखोंक़ी तो क़ ही तमन्ना हैं,
क़ी हर वक़्त आपक़ो मुस्कुराते देखना हैं !

5918
क़िताबोंक़े पन्ने पलटक़े सोचते हैं, 
यूँ पलट जाए ज़िंदगी तो क़्या बात हैं...!
तमन्ना जो पूरी हो ख़्वाबोंमें,
हक़ीक़ बन जाए तो क़्या बात हैं.......!

5919
क़हते हैं ख़्वाबोंमें होगी मुलाक़ात,
रातभर नींद ही ना आये तो क़्या करू ?
दिलसे दिलक़ी दूरी नहीं होती,
क़ा क़ो मज़बूरी नहीं होती...
आपसे मिलनेक़ी तमन्ना हैं,
लेकिन हर तमन्ना पूरी नहीं होती.......

5920
ये आरजू नहीं क़ी क़िसीक़ो भुलाएँ हम, 
ना तमन्ना क़ी क़िसीक़ो रुलाएँ हम l
पर दुआ हैं रबसे इतनी क़ी,
जिसक़ो जितना याद क़रते हैं... 
उसक़ो उतना याद आये हम ll

5911 - 5915 दिल इश्क़ वफा प्यार जिन्दगी याद खामोशी इज़हार चराग एहसास तमन्ना शायरी



5911
खामोशियोमें इज़हार-ए-दिल किजीये,
तमन्ना हो गर कोई तो बयान किजीये l
गुपचुप मुस्कुराके न तडपाईये,
इश्क़के नैनोसे वार न किजीये ll

5912
यादोमें न ढूंढो हमे,
मनमें हम बस जायेंगे...
तमन्ना हो अगर मिलनेकी,
तो हाथ रखो दिलपर...
हम धड़कनोंमें मिल जायेंगे...!

5913
हम चराग-ए-तमन्ना जलाते रहें,
वो चराग-ए-तमन्ना बुझाते रहें...

5914
जिन्दगी जैसी तमन्ना थी,
नहीं कुछ कम हैं...
हर घड़ी होता हैं एहसास,
कहीं कुछ कम हैं...

5915
हैं तमन्ना फिर मुझे,
वो प्यार पानेकी,
दिल हैं पाक मेरा,
ना कोशिश कर आज़मानेकी;
जब एतबार हैं तुझे मेरा,
और मुझे तेरी वफाईका,
तो फिर क्यूँ करता हैं परबाह,
ये दिल ज़मानेकी...

23 May 2020

5906 - 5910 ज़िक्र याद वक़्त इज़हार मुस्कान तौहीन मोहब्बत तमन्ना शायरी



5906
उनका ज़िक्र उनक़ी तमन्ना,
उनक़ी याद.......
वक़्त कितना क़ीमती हैं,
आज कल.......
                         शकील बदायुनी

5907
इज़हार--तमन्नाही,
तौहीन--तमन्ना हैं;
तुम खुदही समझ जाओ,
मैं नाम नहीं लूँगा ll

5908
तुम्हारी मुस्कानसे,
शुरू हुई थी हमारी कहानी...!
सदा मुस्कुराते रहना,
यही आखरी तमन्ना हैं हमारी...!!!

5909
तमन्ना थी क़ी वो भी,
मुझे मेरी तरह चाहे...
पर तमन्ना थी इसलिये,
तमन्ना ही रह गयी.......

5910
पानेक़ी तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो,
आज भी तुमसे,
बेशुमार करते हैं.......

22 May 2020

5901 - 5905 ज़ख़्म रौशन चराग़ नादान याद शायरी


5901
सोचता हूँ कि,
उसकी याद आख़िर...
अब किसे रातभर,
जगाती हैं...
                      जौन एलिया

5902
जाने वाले कभी नहीं आते,
जाने वालोंकी याद आती हैं |
सिकंदर अली वज्द

5903
तुम्हारी यादके जब,
ज़ख़्म भरने लगते हैं...
किसी बहाने तुम्हें,
याद करने लगते हैं...
            फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

5904
एक रौशन दिमाग़ था,
न रहा |
शहरमें इक चराग़ था,
न रहा ||
अल्ताफ़ हुसैन हाली

5905
याद उसकी इतनी,
ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ;
नादान फिर वो जीसे,
भुलाया न जाएगा...
                        मीर तक़ी मीर

20 May 2020

5896 - 5900 दिल धड़कन ज़िंदगी आँख चोट साथ याद शायरी



5896
जाते जाते आप,
इतना काम तो कीजे मिरा...
यादका सारा सर--सामाँ,
जलाते जाए.......
                            जौन एलिया

5897
आज फिर नींदको,
आँखोंसे बिछड़ते देखा...
आज फिर याद कोई,
चोट पुरानी आई...
इक़बाल अशहर

5898
आपके बाद हर घड़ी हमने,
आपके साथही गुज़ारी हैं...!
                                   गुलज़ार

5899
दिल धड़कनेका सबब याद आया l
वो तिरी याद थी, अब याद आया ll
                              नासिर काज़मी

5900
इस ज़िंदगीमें इतनी,
फ़राग़त किसे नसीब...
इतना याद कि तुझे,
भूल जाएँ हम.......
                     अहमद फ़राज़

19 May 2020

5891 - 5895 दिल ज़िंदगी सब्र उम्र गहराई बैचैन मेहँदी राज जुदाई ज़ख़्म दर्द शायरी



5891
दर्द--दिल,
कितना पसंद आया उसे...
मैने जब आह की,
उसने वाह की.......
                आसी ग़ाज़ीपुरी

5892
ये दिलका दर्द तो,
उम्रोंका रोग हैं प्यारे;
सो जाए भी तो,
पहर दोपहरको जाता हैं !
अहमद फ़राज़

5893
दर्द कागज़ पर मेरा, बिकता रहा,
मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा;
छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमानकी,
मैं सितारोंके बीच, चाँदकी तरह छिपता रहा;
दरख़्त होता तो, कबका टूट गया होता,
मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा;
बदले यहाँ लोगोंने रंग, अपने-अपने ढंगसे,
रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदीकी तरह पीसता रहा;
ज़िनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िलकी ओर,
मैं समन्दरसे, राज गहराईके सीखता रहा ll

5894
जुदायोंके ज़ख़्म,
दर्द--ज़िंदगीने भर दिए...
तुझे भी नींद गई,
मुझे भी सब्र गया....!
नासिर काज़मी

5895
दर्दको रहने भी दे.
दिलमें दवा हो जाएगी...
मौत आएगी तो,
हमदम शिफ़ा हो जाएगी...!
         हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

5886 - 5890 दिल हाल सूरत वक़्त ज़ख़्म कलेजे सहर मरहम उम्र दर्द शायरी



5886
अब ये भी नहीं ठीक कि,
हर दर्द मिटा दें;
कुछ दर्द कलेजेसे,
लगानेके लिए हैं ll
                    जाँ निसार अख़्तर

5887
कब ठहरेगा दर्द--दिल,
कब रात बसर होगी...
सुनते थे वो आएँगे,
सुनते थे सहर होगी...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

5888
हाल तुम सुन लो मिरा,
देख लो सूरत मेरी...
दर्द वो चीज़ नहीं हैं,
कि दिखाए कोई...!
               जलील मानिकपूरी

5889
वक़्त हर ज़ख़्मका,
मरहम तो नहीं बन सकता...
दर्द कुछ होते हैं,
ता-उम्र रुलाने वाले.......
सदा अम्बालवी

5890
ज़ख़्म कहते हैं,
दिलका गहना हैं...
दर्द दिलका,
लिबास होता हैं...!
                    गुलज़ार

17 May 2020

5881 - 5885 तरस सम्मान बरसात खिलौने शौक आँखें शायरी



5881
वे सूरतें इलाही,
किस मुल्क बस्तियाँ हैं...
अब देखनेको जिनके,
आँखें तरसतियाँ हैं.......
              मोहम्मद रफ़ी सौदा

5882
टूट पड़ती थीं घटाएँ,
जिनकी आँखें देखकर...
वो भरी बरसातमें,
तरसे हैं पानी के लिए...
  सज्जाद बाक़र रिज़वी

5883
आज अगर भर आई हैं,
बूंदे बरस जाएगी...
कल क्या पता, किनके लिए,
आँखें तरस जाएगी.......?

5884
पानीकी हर बूंदका,
सम्मान करे;
चाहे वो,
आसमानसे टपके...
या आँखोंसे ll

5885
अलमारीसे मिले हुए,
बचपनके खिलौने...
मेरी आँखोंकी उदासी देख कर बोले,
"तुम्हें ही बहुत शौक था बड़ा होने का ?"

5876 - 5880 तस्वीर ख्वाब गुनहगार गहराई राज उलझन सौगात बात आदत आँखें शायरी


5876
मिटा दे उसकी तस्वीर,
मेरी आँखोंसे मेरे खुदा...
अब तो वो मुझे,
ख्वाबोंमें भी अच्छा नहीं लगता...

5877
गुनहगारोंकी आँखोंमें,
झूठे ग़ुरूर होते हैं...
यहाँ शर्मिन्दा तो सिर्फ़,
बेक़सूर होते हैं...

5878
पानी समुन्दरमें हो,
या आँखोंमें...
गहराई और राज,
दोनोंमें होते हैं...

5879
उलझके आपकी आँखोंमें करलू खूब बाते,
उलझते आपकी बातोमें करलू राते सौगाते;
उलझनोंमें सदा उलझके रहनेकी आपकी आदतें,
सुलझाए कैसे बस इसी उलझनमें कटती हैं राते बरबादे l
भाग्यश्री

5880
वाकई बड़े मज़ेदार हो तुम,
एक सीमित साझ़ेदार हो तुम;
तुम्हारी हर बात सरआँखोंपर कहते हो,
पर मुकम्मल वही करते हो जो तुम्हे फायदेमंद हो l
                                                                    भाग्यश्री

14 May 2020

5871 - 5875 दिल हसरत लब होठ सलीके ज़माने जुदाई तकल्लुफ अश्क आँसू आँखें शायरी



5871
हसरत तो थी कि,
तेरी आँखका आँसू बन जाऊँ...
मगर तू रोये,
ये हमको गँवारा नहीं.......

5872
लब हिले,
आँखोंमें अश्क आए हैं;
आज हम कितने,
सलीकेसे मुस्कुराए हैं !

5873
तुम मुझे कभी दिलसे,
कभी आँखोंसे पुकारो l
ये होठोंके तकल्लुफ तो,
ज़माने के लिए होते हैं ll

5874
जिसकी आँखोंमें,
कटी थीं सदियाँ...
उसीने सदियोंकी,
जुदाई दे दी.......

5875
इतना बेताब हो,
मुझसे बिछड़ने के लिए...
तुझे आँखोंसे नहीं,
मेरे दिलसे जुदा होना हैं...

13 May 2020

5866 - 5870 दिल इंतज़ार इज़ाजत यार लुत्फ़ निगाह रूबरू धड़कन आहट अश्क आँसू आँखें शायरी



5866
इंतज़ार--यार भी,
लुत्फ़ कमाल हैं...
आँखे किताबपर और,
सोच जनाबपर...!

5867
मैं कभी उसके खिलाफ,
कुछ नहीं कहूँगी...
अब भी उसकी आँखें,
मुझे देखा करती हैं...!

5868
सुनो,
मैं कौनसी आँखमें,
काजल लगाऊँ...?
मेरी तो दोनों आँखोंमें.
तुम बसते हो.......!

5869
वो आँख भी मिलानेकी,
इज़ाजत नहीं देते...
और ये दिल उनको,
निगाहोंमें बसानेपे तुला हैं...!

5870
उसको कभी देखा नहीं,
आँख भरके;
रूबरू होते ही,
पलके झुक जाती हैं l
कह दो उनसे,
गुज़रे हमारी गलियोंसे, आहिस्ता...
क्योंकि उनके क़दमोंकी आहटसे,
धड़कने मेरी रुक जाती हैं.......ll

12 May 2020

5861 - 5865 सलीका क़ातिल नक़ाब होश मदहोशी लफ्ज़ ग़ज़ल लुत्फ़ हौसला आँसू आँखें शायरी



5861
सलीका नक़ाबका भी,
अजब कर रखा हैं;
जो आँखे हैं क़ातिल,
उन्हींको खुला छोड़ रखा हैं...

5862
होशका पानी छिड़को,
मदहोशीकी आँखोंपर...
अपनोंसे कभी ना उलझो,
गैरोंकी बातोंपर...

5863
जो उनकी आँखोंसे बयाँ होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरीमें कहाँ होते हैं...!!!

5864
इन आँखोंसे बता,
कितना मैं देखूँ तुझे...?
रह जाती हैं कुछ कमी,
जितना भी देखूँ तुझे...!

5865
मेरी उस ग़ज़लने जब जब,
तुम्हारी आँखोंको छुआ हैं;
हाल क्या बताऊँ लफ़्ज़ोंका,
कागज़ोंको भी कुछ हुआ हैं;
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी,
आँख-मिचोलीका;
मिलेगी कामयाबी,
हौसला कमालका लिए बैठा हूँ...!