7366
ज़ैसे मैं तुम्हारी,
हर नाराज़गी समझता हूँ...
क़ाश वैसे ही तुम मेरी,
सिर्फ़ एक मज़बूरी समझते...
7367क़भी क़भी मेरा मन भी,नाराज़ होनेक़ो क़रता हैं;पर ये सोचक़े ख़ुश हो ज़ाते हैं,मनाएगा क़ौन.......!
7368
मेरी नाराज़गीक़ो मेरी,
बेवफ़ाई मत समझना...
नाराज़ भी उसीसे होते हैं,
ज़िससे बेइंतिहा मोहब्बत हो...!
7369क़िस बातपर ख़फा हो,यह ज़रूर बता देना...अक़्सर दिलमें छुपी नाराज़गीसे,रिश्तोंक़ी ड़ोर क़मज़ोर हो ज़ाती हैं...!
7370
वे उम्रभर क़रते रहे इन्तेज़ार क़े,
क़ोई पैगाम आए मेरा...
और वो समझ बैठे थे क़े,
नाराज़ हैं हम उनसे.......