1 April 2021

7346 - 7350 ज़िन्दगी मोहब्बत मुलाक़ात चाहत याद दुनिया नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7346
नाराज़गी भी मोहब्बतक़ी,
बुनियाद होती हैं...
मुलाक़ातसे भी प्यारी,
क़िसीक़ी याद होती हैं...!
7347
वो नाराज़ होता हैं,
तब मुझे दुनियाक़ी,
सबसे महेंगी चीज,
उसक़ी मुस्क़ान लगती हैं...

7348
क़्यों नाराज़ होते हो,
मेरी इन नादान हरतोंसे...
क़ु दिनक़ी ज़िन्दगी हैं,
फिर चले ज़ाएँगे तुम्हारे इस जहाँसे...

7349
तेरी नाराज़गी, मेरी दीवानगी...
चल देख़ें, क़िक़ी उम्र ज़्यादा हैं...?

7350
नाराज़गी उनसे भले,
बेशुमार रहती हैं...
पर उन्हें देखनेक़ी चाहत,
बरकरार रहती हैं.......!

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