28 April 2021

7476 - 7480 दिल चाह याद ज़ख्म तबाह बहाना, बहाने शायरी

 

7476
हम बने ही थे,
तबाह होनेक़े लिए...
तेरा छोड़ ज़ाना तो महज़,
इक़ बहाना था.......

7477
यूँही दिलने चाहा था,
रोना-रुलाना...
तिरी याद तो बन गई,
इक़ बहाना.......
साहिर लुधियानवी

7478
उसे मेरा साथ छोड़नेक़ा,
बहाना चाहिये था...
वरना साथ निभानेवाले तो,
मौतक़े दरवाज़ेतक़ भी साथ चलते...

7479
बहाने वो ज़ब भी बनाती हैं...
दिल हमारा हर बार टूट ज़ाता हैं...

7480
तुम्हारी यादक़े ज़ब,
ज़ख्म भरने लग़ते हैं...
तो क़िसी बहानेसे,
तुम्हें याद क़रने लग़ते हैं...!

No comments:

Post a Comment