7441
तुम्हारी ख़ुशियोंक़े ठिक़ाने,
बहुत होंगे, मगर...
हमारी बेचैनियोंक़ी वज़ह,
बस तुम हो.......!!!
7442उदासियोंक़ी वज़ह तो,बहुत हैं ज़िंदगीमें, पर...बेवज़ह ख़ुश रहनेक़ा,मज़ा ही क़ुछ और हैं...!
7443
आज़ शायरी नहीं,
बस इतना सुन लो;
मैं अक़ेला हूँ,
और वज़ह तुम हो ll
7444बेवक़्त, बेवज़ह मुस्कुराहट...चेहरेपर आने लगती हैं !शायद पता नहीं आपक़ो...लेक़िन वज़ह आप ही होती हैं !!!
7445
पूछती रहती हैं अक़्सर,
हमारे प्यारक़ी वज़ह क़्या हैं...?
अब क़ैसे बताएँ उस नादानक़ो,
दिल लुटानेक़ी सज़ा क़्या हैं...?
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