7386
ख़फ़ा तुमसे होक़र,
ख़फ़ा तुमक़ो क़रक़े...
मज़ाक़-ए-हुनर,
क़ुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ...
इशरत अनवर
7387यूँ तो सब ही,रूठे रूठेसे हैं मुझसे...पर बचपनक़ी मासुमियत,ज़्यादा ख़फ़ा हैं.......!
7388
एक़ ही फ़नतो,
हमने सीख़ा हैं;
ज़िससे मिलिए,
उसे ख़फ़ा क़ीजे...
ज़ौन एलिया
7389दौड़ती भागती दुनियाक़ा,यही तोहफ़ा हैं...ख़ूब लुटाते रहे अपनापन,फ़िरभी लोग ख़फ़ा हैं.......
7390
इश्क़में तहज़ीबक़े हैं,
और ही क़ुछ फ़लसफ़े...
तुझसे होक़र हम ख़फ़ा,
ख़ुदसे ख़फ़ा रहने लगे...
आलम ख़ुर्शीद
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