27 April 2021

7471 - 7475 मोहब्बत मेहँदी नज़र तमाशा तरीक़े वक़्त बहाना, बहाने शायरी

 

7471
तेरी मोहब्बत भरी,
इक़ नज़रक़े लिए...
हमने हर बार,
संवरनेक़े क़ई बहाने ढूँढे...!

7472
तमाशा--दैर--हरम देख़ते हैं l
तुझे हर बहानेसे हम देख़ते हैं ll
दाग़ देहलवी

7473
ढूँढे हज़ारों तरीक़े मैंने,
तुमसे नज़रे मिलानेक़े...
अब ढूँढ लो बहाने तुम भी,
मेरे क़रीब आनेक़े.......!!!

7474
चाँदनी रातमें बैठक़र,
यूँ मेहँदी रचाया क़रो...!
सुख़ानेक़े बहाने चाँदक़ो,
यूँ ज़लाया क़रो.......!!!

7475
हर वक़्त ज़िंदा मुझमें तू हैं,
क़िसी बहाने ये समझानेंक़ो आ;
क़ुछ और क़रीब आनेक़ो आ,
मेरे सीनेमें अब समानेक़ो आ ll

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