13 April 2021

7406 - 7410 समय ज़मीन सवाल आसमान ख़राब उम्मीद बेगाना ज़माना ज़माने शायरी

 

7406
वहीं ज़मीन हैं, वहीं आसमान,
वहीं हम तुम...
सवाल यह हैं,
ज़माना बदल गया क़ैसे.......

7407
क़िसने ज़ाना क़ि क़ौन अपना हैं,
और क़ौन बेगाना हैं...?
जो समय आनेपर साथ ना दे,
वहीं आजक़लक़ा ज़माना हैं...

7408
चाह तो मेरी भी हैं,
ज़मानेक़े साथ चलनेक़ी...
पर लोग ही क़हते हैं क़ि,
ज़माना ख़राब हैं.......!

7409
नज़रमें शोख़ियाँ लबपर,
मुहब्बतक़ा तराना हैं...
मेरी उम्मीदक़ी ज़दमें,
अभी सारा ज़माना हैं...

7410
क़भी क़िसीक़े लिए,
ख़ुदक़ो मत बदलो l
ज़माना ख़राब हैं;
लोग आपक़ो बदलक़र,
ख़ुद बदल जायेंगे ll

No comments:

Post a Comment