7431
बस यूँ ही लिख़ता हूँ,
वज़ह क़्या होगी...
राहत ज़रासी,
आदत ज़रासी.......!
7432वज़ह क़ुछ और थी,क़ुछ और ही बताते रहें...अपने थे इसलिये,क़ुछ ज्यादा ही सताते रहें...!
7433
अपनी नज़दीक़ियोंसे,
दूर ना क़रो मुझे...
मेरे पास ज़ीनेक़ी वज़ह,
बस आप हो.......!!!
7434मुद्दतोंसे था,ज़ो नाराज़ मुझसे...आज़ वहीं मुझसे मेरी,नाराज़गीक़ी वज़ह पूछता हैं...
7435
क़ोई रोये हमारी वज़हसे,
तो हमारा होना व्यर्थ हैं;
क़ोई रोये हमारे लिए तो,
ज़ीनेक़ा अर्थ हैं ll
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