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इश्क़क़ो ज़ब हुस्नसे,
नज़रें मिलाना आ गया...!
ख़ुद-ब-ख़ुद घबराक़े,
क़दमोंमें ज़माना आ गया...!!!
7397आया था साथ लेक़े,मोहब्बतक़ी आफ़तें...ज़ाएगा ज़ान लेक़े,ज़माना शबाबक़ा...जिगर बिसवानी
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पीरीमें शौक़,
हौसला-फ़रसा नहीं रहा...
वो दिल नहीं रहा,
वो ज़माना नहीं रहा...
अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़
7399नहीं इताब-ए-ज़माना,ख़िताबक़े क़ाबिल...तिरा ज़वाब यहीं हैं क़ि,मुस्कुराए ज़ा.......हफ़ीज़ जालंधरी
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ऐ परिंदे, यूँ ज़मींपर बैठक़र...
क्या आसमान देख़ता हैं...?
ख़ोल परोंक़ो,
ज़माना सिर्फ़ उड़ान देख़ता हैं.......
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