10 April 2021

7391 - 7395 मोहब्बत ख़फ़ा ज़ुदा याद आईना सूरत ख़ुश दुनिया ज़माना ज़माने शायरी

 

7391
क़भी बोलना, वो ख़फ़ा ख़फ़ा...
क़भी बैठना, वो ज़ुदा ज़ुदा...
वो ज़माना नाज़--नियाज़क़ा,
तुम्हें याद हो क़ि याद हो.......
                              ज़हीर देहलवी

7392
छेड़ मत हरदम,
आईना दिख़ा...
अपनी सूरतसे ख़फ़ा,
बैठे हैं हम.......!
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

7392
ख़ुदाईक़ो भी हम,
ख़ुश ख़ सक़े...
ख़ुदा भी ख़फ़ाक़ा ख़फ़ा,
रह गया.......
                      गौहर होशियारपुरी

7394
ज़िसक़ी हवसक़े वास्ते,
दुनिया हुई अज़ीज़...
वापस हुए तो उसक़ी,
मोहब्बत ख़फ़ा मिली.......
साक़ी फ़ारुक़ी

7395
या वो थे ख़फ़ा हमसे,
या हम हैं ख़फ़ा उनसे...
क़ल उनक़ा ज़माना था,
आज़ अपना ज़माना हैं...
                      ज़िगर मुरादाबादी

No comments:

Post a Comment