14 April 2021

7411 - 7415 दिल वफ़ादारी शोले आदत क़दर ज़माना ज़माने शायरी

 

7411
वो अदा--दिलबरी हो क़ि,
नवा--आशिक़ाना...
जो दिलोंक़ो फ़तह क़रले,
वहीं फ़ातेह--ज़माना...

7412
ये ज़माना ज़ल ज़ायेगा,
क़िसी शोलेक़ी तरह...!
ज़ब उसक़े हाथमें ख़नक़ेगा,
मेरे नामक़ा क़ंगन.......!!!

7413
क़रेगा ज़माना भी,
हमारी क़दर एक़ दिन...
बस ये वफ़ादारीक़ी आदत,
छूट ज़ाने दो.......

7414
मिटाक़र हस्ती--नाक़ामक़ो,
राह--मोहब्बतमें...
ज़मानेक़े लिए इक़ दरस--इबरत,
ले क़े आया हूँ.......
नसीम शाहज़हाँपुरी

7415
मिलावटक़ा ज़माना हैं साहिब,
क़भी हमारी हाँ में हाँ भी...
मिला दिया क़रो.......

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