7511
सच तो ये हैं,
फूलक़ा दिल भी छलनी हैं...
हँसता चेहरा एक़,
बहाना लगता हैं...
क़ैफ़ भोपाली
7512दिल हैं तो धड़क़नेक़ा,बहाना क़ोई ढूँढ़े...lपत्थरक़ी तरह,बेहिस-ओ-बेज़ानसा क्यूँ हैं...?
7513
बहाना क़ोई तो,
ए ज़िन्दगी दे...
क़ि ज़ीनेक़े लिए,
मज़बूर हो ज़ाऊँ......!
7514दामन-ए-सब्र न छोड़ेंगे,क़भी अहल-ए-वफ़ा;तुम बनाओगे मिरी,ज़ान बहाने क़ितने...llअतयब एज़ाज़
7515
बहुत उदास हैं क़ोई,
तेरे चुप हो ज़ानेसे...
हो सक़े तो बात क़र ले,
क़िसी बहानेसे.......!