20 October 2021

7771 - 7775 मंज़िल हमसफ़र मौज़ूद रूहानी तलाश मशहूर मुक़म्मल यार क़तरा वज़ूद शायरी

 

7771
सामने मंज़िल थी,
और पीछे उसक़ा वज़ूद...
क़्या क़रते हम भी यारों,
रुक़ते तो सफ़र रह ज़ाता,
चलते तो हमसफ़र रह ज़ाता...

7772
मौज़ूदगी दिखा गया,
ग़हन अंधेरेमें दिया अपनी...!
अमावसक़ी चादरमें भी,
बयाँ क़र ग़या अपना वज़ूद...!!!

7773
तेरे वज़ूदसे हैं,
मेरी मुक़म्मल क़हानी l
मैं ख़ोख़ली सीप,
और तू मोती रूहानी ll

7774
वज़ूद मेरा भी एक़ दिन तो,
मशहूर होगा...!
क़भी-ना-क़भी मेरे हाथों,
क़ोई तो क़ुसूर होगा.......

7775
मैं एक़ क़तरा हूँ,
मेरा अलग़ वज़ूद तो हैं...!
हुआ क़रे जो समन्दर,
मेरी तलाशमें हैं.......!!!

18 October 2021

7766 - 7770 नफ़रत मोहब्बत याद मौज़ूदग़ी अंज़ान निग़ाह हक़ीक़त लफ्ज़ बेरूख़ी वज़ूद शायरी

 

7766
नफ़रतक़ा ख़ुद क़ोई,
वज़ूद नहीं होता...l
ये तो मोहब्बतक़ी,
ग़ैर मौज़ूदग़ीक़ा नतीज़ा हैं...ll

7767
आपक़ी याद मेरी ज़ान हैं l
शायद इस हक़ीक़तसे,
आप अंज़ान हैं l
मुझे ख़ुद नहीं पता क़ी,
मेरा वज़ूद क़्या हैं l
शायद आपक़ा प्यार ही, 
मेरी पहचान हैं ll

7768
अपने वज़ूदपें इतना तो,
यक़ीन हैं हमें कि...
क़ोई दूर तो हो सक़ता हैं हमसे,
पर हमें भूल नहीं सक़ता.......!

7769
तेरी निग़ाह--नाज़में,
मेरा वज़ूद-बे-वज़ूद...
मेरी निगाह--शोक़में,
तेरे सिवा क़ोई नहीं...!!!

7770
वो लफ्ज़ कहाँसे लाऊं,
ज़ो तेरे दिलक़ो मोम क़र दें ;
मेरा वज़ूद पिघल रहा हैं,
तेरी बेरूख़ीसे.......ll

17 October 2021

7761 - 7765 दिल इश्क़ लफ़्ज़ ज़ज़्बात शिक़ायत दामन मंज़िल ख़्याल पहलू ख़ाक़ वज़ूद शायरी

 

7761
मेंरे वज़ूदक़े बाएँ पहलूमें,
दिल नहीं...
तुम धड़क़ते हो...!!!

7762
थक़ा हुआ हैं, वज़ूद सारा,
ये मानती हूँ...
मग़र ख़्यालोंसे क़ोई जाए,
तो नींद आए.......

7763
ये इश्क़ हैं साहब,
ये वज़ूद हिला देता हैं l
आप और मैं क़्या हैं,
ये अच्छे अच्छोंक़ो,
ख़ाक़में मिला देता हैं ll

7764
मेरे वज़ूदक़ो,
अपने दामनसे झाड़ने वाले,
जो तेरी आख़िरी मंज़िल हैं,
वो मिट्टी हूँ मैं.......

7765
हर उस लफ़्ज़क़े वज़ूदसे,
शिक़ायत हैं मुझे ;
ज़िसमें शामिल तुम्हारे दिलक़े,
ज़ज़्बात ना हो.......!

15 October 2021

7756 - 7760 इश्क़ ज़िस्म शक्ल क़िरदार दामन हक़ीक़त साँसे धड़क़न वज़ूद शायरी

 

7756
मेरा वज़ूद मिट रहा हैं,
इश्क़में तेरे...
अब यह ना क़हना क़ी,
ज़िस्मक़ी चाहत हैं मुझे...

7757
मेरा वज़ूद पानी,
हुआ मिट्टी और आग़...
बिख़री हुई अना हूँ,
सुलग़ता ग़ुरूर हूँ.......
        इशरत क़ादरी

7758
ज़िसक़ो भी हासिल,
क़िरदार ना हुआ मेरा ;
वो मेरे दामन--वज़ूदक़ो,
दाग़दार क़ह गए.......

7759
मिरा वज़ूद हक़ीक़त,
मिरा अदम धोक़ा...
फ़ना क़ी शक्लमें,
सर-चश्मा--बक़ा हूँ मैं...
हादी मछलीशहरी

7760
मेरे वज़ूदमें,
सांसोंक़ी आग़ाहीक़े लिए,
तुम्हारा मुझमें धड़क़ना,
बहुत ज़रूरी हैं.......!

7751 - 7755 ज़िंदगी साँसे दिल सबूत गहरे ख़्वाहिश ख़्वाब वज़ूद शायरी

 

7751
मेरे वज़ूदमें बहुत गहरेसे,
समाया हैं तू...!
तेरा होना ज़रूरी हैं,
मेरे होनेक़े लिए.......!!!

7752
ज़िंदगीक़ा मेरी,
सिवाये सांसोंक़े सबूत क़्या हैं ?
अज़ीयत ये हैं दिलक़ी,
कि इसक़ा वज़ूद क़्या हैं...?

7753
धुँएने भी ढूंढही लिया हैं,
अपना वज़ूद l
पहले ख़ुदक़ो ख़ोक़र,
फिर हवाक़ा होक़र ll

7754
रेग़िस्तानक़ी झुलसती,
रातक़े बारिश हो तुम...
मेरा वज़ूद मेरा ख़्वाब,
मेरी ख़्वाहिश हो तुम...!

7755
तुम आओ तो,
एक़ टुक़ड़ा छांवक़ा लेते आना,
ज़िंदगीक़ी उलझनोंमें...
झुलस रहा हैं मेरा वज़ूद...

11 October 2021

7746 - 7750 इश्क़ आशिक़ चराग़ महफ़ूज़ हैरत वक़्त वज़ूद शायरी

 

7746
अब क़ैसे चराग़,
क़्या चराग़ाँ...
ज़ब सारा वज़ूद,
ज़ल रहा हैं.......
        रज़ी अख़्तर शौक़

7747
मुझक़ो मेंरे वज़ूदक़ी,
हद तक़ ज़ानिए...
बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ,
बेइन्तहा हूँ मैं.......

7748
हर वक़्त नया चेहरा,
हर वक़्त नया वज़ूद !
इंसानने आईनेक़ो,
हैरतमें ड़ाल दिया हैं !!!

7749
चन्द हाथोंमें ही सही,
महफ़ूज़ हैं...
शुक़्र हैं इंसानियतक़ा भी,
वज़ूद हैं.......

7750
अब हर क़ोई हमें,
आपक़ा आशिक़ क़हक़े बुलाता हैं...!
इश्क़ नहीं सही,
मुझे मेंरा वज़ूद तो वापिस क़ीज़िए...!

10 October 2021

7741 - 7745 महबूब मोहब्बत पहचान ज़वानी अंज़ाम सिला रूह वज़ूद शायरी

 

7741
पत्थरपें गिरक़े आईना,
टुक़ड़ोंमें बट ग़या...
क़ितना मिरे वज़ूदक़ा,
पैक़र सिमट ग़या.......
               यासीन अफ़ज़ाल

7742
मेरे महबूब इतराते फ़िरते थे,
ज़वानीपें अपनी...l
मेरे बिना अपना वज़ूद,
जो देखा तो रूह क़ांप ग़ई...!!!

7743
हश्र--मोहब्बत और अंज़ाम,
अब ख़ुदा ज़ाने,...
तुझसे मिलक़र मिट ज़ाना ही,
मेरा वज़ूद था.......

7744
मेरे हरे वज़ूदसे,
पहचान उसक़ी थी l
बे-चेहरा हो ग़या हैं,
वो ज़बसे झड़ा हूँ मैं ll
अज़हर अदीब

7745
बनाक़े छोड़ देते हैं,
अपने वज़ूदक़ा आदि...
क़ुछ लोग़ इस तरह भी,
मोहब्बतक़ा सिला देते हैं...

9 October 2021

7736 - 7740 याद साँस महक़ फ़ितरत इश्क़ ग़ुलिस्तां क़ाँटें वज़ूद शायरी

 

7736
उसक़े वज़ूदसे,
बनी हूँ मैं...!
पहले ज़िन्दा थी,
अब ज़ी रही हूँ मैं...!!!

7737
तेरी यादसे ही,
महक़ ज़ाता हैं वज़ूद मेरा...!
यक़ीनन ये फ़क़त इश्क़ नहीं,
क़ोई ज़ादू हैं तेरा.......!

7738
तेरे वज़ूदसे हैं,
मेरे ग़ुलिस्तांमें रौनक़ें सारी...
तेरे बग़ैर इस दुनियाक़ो,
हम वीरान लिख़ते हैं.......

7739
छू लिया तूने आक़र क़े,
इस तरह मेरा वज़ूद...
साँसभी तेरी अब मुझे,
अपने ज़ैसी ही लग़ती हैं...!!!

7740
मेरी फ़ूलसी फ़ितरत,
तेरा क़ाँटेंदार वज़ूद...
तो क़्यों ना मिलक़र हम,
गुलाब हो जाएं.......!

8 October 2021

7731 - 7735 रूह इश्क़ साँसें मोहब्बत ज़िंदगी क़यामत आईना ज़नाज़ा शक़ वज़ूद शायरी

 

7731
मुझे शक़ हैं,
होने होनेपें ख़ालिद...
अग़र हूँ,
तो अपना पता चाहता हूँ...
                  ख़ालिद मुबश्शिर
7732
हमारी ही रूहक़ो,
वज़ूदसे ज़ुदा क़र ग़या...
एक़ शक़्स ज़िंदगीमें आया,
क़यामतक़ी तरह.......

7733
अदा हुआ क़र्ज़,
और वज़ूद ख़त्म हो ग़या ;
मैं ज़िंदगीक़ा देते देते,
सूद ख़त्म हो ग़या.......
                    फ़रियाद आज़र

7734
तेरी मर्ज़ीसे ढ़ल ज़ाऊँ,
हर बार ये मुमकिन तो नहीं...
मेरा भी अपना वज़ूद हैं,
मैं क़ोई आईना तो नहीं.......!

7735
मेरा वज़ूद ख़त्म हुआ,
अब सिर्फ साँसें चलती हैं...
इश्क़क़ा ज़नाज़ा तुम भी देख़ लो,
सच्ची मोहब्बत क़ैसे ज़लती हैं.......!

6 October 2021

7726 - 7730 महबूब ज़वानी रूह ख़ामुशी महक़ निग़ाहें आँख़ें वज़ूद शायरी

 

7726
मिरे महबूब इतराते फ़िरते थे,
ज़वानीपें अपनी...
मिरे बिना अपना वज़ूद,
ज़ो देख़ा तो रूह क़ांप ग़ई...

7727
उसक़ा वज़ूद,
ख़ामुशीक़ा इश्तिहार हैं...
लग़ता हैं एक़ उम्रसे,
वो मक़बरोंमें हैं.......
तारिक़ ज़ामी

7728
मेरी आँख़ोंमें,
तू अपना वज़ूद रहने दे !
क़ुछ देरही सही,
मुझे तू अपने क़रीब रहने दे...!!!

7729
महक़ जाता हैं वज़ूद मेरा,
ज़ब तुम साथ मेरे होते हो l
फ़िर ज़मानेक़ा क़्या,
वो मेरे साथ हो ना हो ll

7730
यह गुमशुम चेहरा,
ये झुक़ी निग़ाहें,
और ख़ोया ख़ोयासा...
वज़ूद मेरा...!!!

5 October 2021

7721 - 7725 बेइंतेहा बेहिसाब ख़ोज़ तलाश इंसाँ ख़ाक़ नूर ज़मीं चाँद सूरज़ वज़ूद शायरी

 

7721
मुझक़ो मेरे वज़ूदक़ी,
हद तक़ ज़ानिए...
बेहद हूँ बेइंतेहा हूँ,
बेहिसाब हूँ मैं.......

7722
हमें तो इसलिए,
ज़ा--नमाज़ चाहिए हैं !
क़ि हम वज़ूदसे बाहर,
क़याम क़रते हैं.......!
अब्बास ताबिश

7723
तू ख़ुदक़ी ख़ोज़में निक़ल,
तू क़िस लिए हताश हैं l
तू चल तेरे वज़ूदक़ी,
समयक़ो भी तलाश हैं ll

7724
अब क़ोई ढूँड-ढाँडक़े,
लाओ नया वज़ूद...
इंसान तो बुलंदी--इंसाँसे,
घट गया.......
कालीदास गुप्ता रज़ा

7725
ख़ाक़ हूँ लेकिन,
सरापा नूर हैं मेरा वज़ूद...
इस ज़मींपर चाँद सूरज़क़ा,
नुमाइंदा हूँ मैं.......!
                          अनवर सदीद

3 October 2021

7716 - 7720 रूह तलब ज़हर साथ लम्हा ख़्याल आइना नक़्श ज़िंदगी तूफ़ान वज़ूद शायरी

 

7716
वज़ूदक़ी तलब ना क़र,
हक़ हैं तेरा रूह तक़...
सफ़र तो क़र.......

7717
ख़त्म होने दे मिरे साथही,
अपना भी वज़ूद...
तू भी इक़ नक़्श ख़राबेक़ा हैं,
मर ज़ा मुझमें.......
मुसव्विर सब्ज़वारी

7718
मिरे वज़ूदक़े अंदर,
उतरता ज़ाता हैं l
हैं क़ोई ज़हर जो मेरी,
ज़बाँक़ी ज़दमें हैं ll
                आफ़ताब हुसैन

7719
उदास लम्होंक़ी क़ोई याद रख़ना,
तूफ़ानमें भी वज़ूद अपना संभाल रख़ना;
क़िसीक़ी ज़िंदगीक़ी ख़ुशी हो तुम,
बस यही सोच तुम अपना ख़्याल रख़नाll

7720
लहूलुहान हैं चेहरा,
वज़ूद छलनी हैं...
सदी ज़ो बीत ग़ई,
उसक़ा आइना हूँ मैं.......
                 शफ़ीक़ अब्बास