8031
इससे पहले क़ि मिरे,
इश्क़पर इल्ज़ाम धरो...
देख़लो हुस्नक़ी फ़ितरतमें तो,
क़ुछ क़मी नहीं.......
8032दिलपें आये हुए,इल्ज़ामसे पहचानते हैं ;लोग अब मुझक़ो,तेरे नामसे पहचानते हैं !!!
8033
मेरी तबाहीक़ा इल्ज़ाम,
अब शराबपर हैं...!
मैं और क़रता भी क़्या.
तुमपें आ रहीं थी बात.......!!!
8034इल्ज़ाम लग़ा देनेसे,बात सच्ची नहीं हो जाती lदिलपें क़्या बीतती हैं,क़िसीसे क़हीं नहीं जाती ll
8035
हर इल्ज़ामक़ा हक़दार,
वो हमे बना ज़ाते हैं l
हर ख़ता क़ि सज़ा वो,
हमे सुना ज़ाते हैं l
हम हरबार,
ख़ामोश रह ज़ाते हैं l
क़्योंक़ि वो अपना होनेक़ा,
हक़ ज़ता ज़ाते हैं ll