9 January 2022

8061 - 8065 इज़ाज़त दिल इश्क़ याद दर्द सुक़ून ग़ुमान ज़ुबां नाम शायरी

 

8061
इज़ाज़त हो तो,
तेरा नाम लिख़ लूँ...
मिरे दिलक़ा वरक़,
सादा हैं अब तक़.......!

8062
क़ुछ तो स्वाद अलग़ ही हैं,
तेरे नामक़ा...!
क़ी क़म्बख्त ये ज़ुबांसे,
उतरता ही नहीं.......!!!

8063
तेरे इश्क़में क़ुछ इस तरह,
मैं नीलाम हो ज़ाऊँ...
आख़िरी हो तेरी बोली,
और मैं तेरे नाम हो जाऊँ...

8064
तेरे नाम याद क़रनेसे ही,
दर्द उठता हैं दिलमें...
तेरा नाम लेनेसे ही,
दिलक़ो सुक़ून भी मिलता हैं...

8065
क़्यों ना वो क़रे,
खुदपर ग़ुमान...
धड़क़ने बढ़ती हैं,
सुनक़र ज़िसक़ा नाम...!

5 January 2022

8056 - 8060 शक़्ल मुश्क़िल मुस्कान मेंहँदी पैग़ाम क़फ़स आँख़ें क़ाज़ल रंग़ हिना तज़ुर्बा नाम शायरी

 

8056
अब उसक़ी शक़्ल भी,
मुश्क़िलसे याद आती हैं...
वो ज़िसक़े नामसे,
होते थे ज़ुदा मिरे लब...
                   अहमद मुश्ताक़

8057
हाथों हथेलियों,
नाम युँ हीं हिनाक़ा होता हैं...
रंग़ सारे पियाक़े होते हैं,
मेंहरबानी होग़ी आपक़ी मुस्कान दिख़ ज़ाए...
चेहरेपर सज़ै आपक़े पैग़ाम दिख़ ज़ाए,
पर्दोंमें छिपाओ आँख़ोंक़ा तुम क़ाज़ल...
क़ाश क़ि मेंहँदीमें तुम्हारी,
हमार नाम दिख़ ज़ाए...

8058
चमनक़ा नाम सुना था,
वले देख़ा हाय...
ज़हाँमें हमने क़फ़स हीं में,
ज़िन्दग़ानीक़ी.......

8059
बहुत हीं तल्ख़ तज़ुर्बेक़ा,
नाम हैं चाहत...
ज़ो तुमक़ो अच्छा लग़े,
बस उससे प्यार मत क़रना...

8060
ज़िंदग़ी ज़िंदा-दिलीक़ा हैं नाम l
मुर्दा-दिल ख़ाक़ ज़िया क़रते हैं...?
                       इमाम बख़्श नासिख़

8051 - 8055 बहाना ग़ुनहग़ार दिल मोहब्बत इश्क़ वफ़ा वक़्त नाम बदनाम शायरी

 

8051
मुझे बदनाम क़रनेक़ा,
बहाना ढूंढ़ता हैं ज़माना...
मैं ख़ुद हो ज़ाऊँग़ा बदनाम,
पहले मेरा नाम तो होने दो...

8052
मै ख़ुद ही ग़ुनहग़ार हूँ,
अपनी बर्बादियोंक़ा l
ना मै मोहब्बत क़रता,
ना वो बदनाम होती ll

8053
क़्या मस्लहत-शनास,
था वो आदमी क़तील...
मज़बूरियोंक़ा ज़िसने,
वफ़ा नाम रख़ दिया...
                  क़तील शिफ़ाई

8054
अब मिरी बात ज़ो माने तो,
ले इश्क़क़ा नाम...
तू ने दुख़ दिल--नाक़ाम,
बहुत सा पाया...
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8055
उसक़ा नाम,
वक़्त था शायद...
यूँ ग़या पलटक़े,
दोबारा आया...!

4 January 2022

8046 - 8050 दिल महफ़िल मोहब्बत क़ाश दुनिया नाम बदनाम शायरी

 

8046
दिल चाहता हैं,
तेरी हर मुराद पूरी हो...!
और उस मुरादमें,
मेरा भी नाम हो.......!!!

8047
मैं उनक़ी महफ़िल--इशरतसे,
क़ांप ज़ाता हूँ...
ज़ो घरक़ो फूंक़क़े,
दुनियामें नाम क़रते हैं...

8048
ये देख़ना हैं क़ि,
फूंक़ भी हैं समुंदर भी...
वो मेरी तिश्ना-लबी,
क़िसक़े नाम क़रता हैं...

8049
क़ाश बंद क़रले वो पाग़ल,
मुझे अपनी रोज़नामचीमें...!
ज़िसक़ा नाम छुपा होता हैं,
मेरी हर शायरीमें.......!!!

8050
तुम्हारा बदलना,
मुबारक़ हो तुम्हे...
हम बदल ग़ए तो,
मोहब्बत बदनाम हो ज़ाएग़ी...

1 January 2022

8041 - 8045 मौसम ख़्वाब याद मोहब्बत रूह ग़हराई ज़िक्र इज्ज़त सफ़र नाम बदनाम शायरी

 

8041
मैं आख़िर क़ौनसा मौसम,
तुम्हारे नाम क़र देता...
यहाँ हर एक़ मौसमक़ो,
ग़ुज़र ज़ानेक़ी ज़ल्दी थी.......
                           राहत इंदौरी

8042
मेरी मोहब्बतक़ी ना सहीं,
मेरे सलिक़ेक़ी तो दाद दे...
रोज़ तेरा ज़िक्र क़रता हूँ,
बग़ैर तेरा नाम लिये.......

8043
मेरी मोहब्बतक़ी,
सच्चाई तो देख़...
मैं तेरे नाम वालोसे भी,
इज्ज़तसे पेंश आता हूँ...!

8044
मुमक़िन हैं पलटक़र,
मैं चला आऊँ सफ़रसे...
वह नाम तो ले,
रूहक़ी ग़हराईसे मेरा...

8045
ख़्वाबमें नाम तिरा ले क़े,
पुक़ार उठता हूँ...!
बे-ख़ुदीमें भी मुझे,
याद तिरी याद क़ी हैं.......!!!
                         माधव राम ज़ौहर

8036 - 8040 होठ दिल मोहब्बत मेहँदी महफ़िल ग़ज़ल इल्ज़ाम क़ीमत धाग़ा क़फ़न नाम शायरी

 

8036
क़रता हूँ तुमसे मोहब्बत,
मरनेपर इल्ज़ाम होग़ा...
क़फ़न उठाक़े देख़ना,
होठोंपर तेरा नाम होग़ा...!!!

8037
क़िसी ग़ज़लसा,
लग़ता हैं नाम तुम्हारा...
देख़ो तुम्हें याद क़रते क़रते,
हम शायर बन ग़ए.......

8038
महफ़िलमें लोग़ चौंक़ पड़े,
मेरे नामपर...
तुम मुस्क़ुरा दिए,
मिरी क़ीमत यहीं तो हैं...!
हाशिम रज़ा ज़लालपुरी

8039
धाग़ा ख़त्म हो ग़या था,
मन्नतोमें तुम्हे मांग़क़र...
दिल बांध आये अबक़ी बार,
तुम्हारे नामपर.......

8040
मेहँदी लग़ा लो,
उसक़े नामक़ी...!
ज़ो मोहब्बत,
हो आपक़ी.......!!!

31 December 2021

8031 - 8035 दिल इश्क़ हुस्न ख़ता इल्ज़ाम फ़ितरत ख़ामोश तबाही शराब बात इल्ज़ाम शायरी

 

8031
इससे पहले क़ि मिरे,
इश्क़पर इल्ज़ाम धरो...
देख़लो हुस्नक़ी फ़ितरतमें तो,
क़ुछ क़मी नहीं.......

8032
दिलपें आये हुए,
इल्ज़ामसे पहचानते हैं ;
लोग अब मुझक़ो,
तेरे नामसे पहचानते हैं !!!

8033
मेरी तबाहीक़ा इल्ज़ाम,
अब शराबपर हैं...!
मैं और क़रता भी क़्या.
तुमपें रहीं थी बात.......!!!

8034
इल्ज़ाम लग़ा देनेसे,
बात सच्ची नहीं हो जाती l
दिलपें क़्या बीतती हैं,
क़िसीसे क़हीं नहीं जाती ll

8035
हर इल्ज़ामक़ा हक़दार,
वो हमे बना ज़ाते हैं l
हर ख़ता क़ि सज़ा वो,
हमे सुना ज़ाते हैं l
हम हरबार,
ख़ामोश रह ज़ाते हैं l
क़्योंक़ि वो अपना होनेक़ा,
हक़ ज़ता ज़ाते हैं ll

29 December 2021

8026 - 8030 दिल इश्क़ मोहब्बत पैग़ाम बेवफ़ा ज़ुर्म सवाल ज़वाब बर्बाद लफ़्ज़ इल्ज़ाम शायरी

 

8026
तू क़हीं भी रहे,
सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं...
तुम्हारे हाथोंक़े लक़ीरोंमें,
मेरा नाम तो हैं.......!

8027
दिल--बर्बादक़ा,
मैं तुझे इल्ज़ाम नहीं देता ;
हाँ अपने लफ़्ज़ोंमें तेरे,
ज़ुर्म ज़रूर लिख़ता हूँ...
लेक़िन तेरा नाम नहीं लेता...!

8028
मेरी नज़रोंक़ी तरफ़ देख़,
ज़मानें पर ज़ा...
इश्क़ मासूम हैं,
इल्ज़ाम लग़ाने पर ज़ा...

8029
हमारे हर सवालक़ा सिर्फ़,
एक़ ही ज़वाब आया...
पैग़ाम ज़ो पहुँचा हमतक़,
बेवफ़ा इल्ज़ाम आया.......

8030
मोहब्बत तो दिलसे क़ी थी,
दिमाग़ उसने लग़ा लिया...
दिल तोड़ दिया मेरा उसने,
और इल्ज़ाम मुझपर लग़ा दिया...

28 December 2021

8021 - 8025 ग़लत बेवज़ह हालात शख़्स औक़ात इल्ज़ाम शायरी

 

8021
हालातोंक़ी हीं ग़लती होग़ी,
वो इंसान बुरे नहीं...
उन्होंने लग़ाएँ हैं, तो अच्छे हीं होंग़े...
शायद हम बुरे हैं, ये इल्ज़ाम बुरे नहीं...!

8022
इल्ज़ाम एक़ ये भी,
उठा लेना चाहिए...
इस शहर--बे-अमाँक़ो,
बचा लेना चाहिए.......
ज़फ़र इक़बाल

8023
इल्ज़ामोंक़े घातसे ज़ब,
बचे नहीं भग़वान...
अपनी क़्या औक़ात फ़िर,
हम ठहरे इंसान.......

8024
इल्ज़ाम हज़ारों हैं,
हर शख़्सक़े सरपर...
पैरोंमें छाले क़िसक़े क़ितने हैं,
क़ोई नहीं ज़ानता.......

8025
बेवज़ह दीवारपर,
इल्ज़ाम हैं बंटवारेक़ा ;
क़ई लोग़ एक़ क़मरेमें भी,
अलग़ रहते हैं.......ll

27 December 2021

8016 - 8020 बेवफ़ा ख़फ़ा दिल लब हुस्न इश्क़ तबाह अदालत इल्ज़ाम शायरी

 

8016
दिलक़े मुआमलातमें,
नासेह शिक़स्त क़्या...
सौ बार हुस्नपर भी,
ये इल्ज़ाम ग़या...
            ज़िग़र मुरादाबादी

8017
ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा,
रंग़ीन तो हैं बदनाम सहीं...
मुझपर तो क़ई इल्ज़ाम लगे,
तुझपर भी क़ोई इल्ज़ाम सहीं...

8018
बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं,
पर इल्ज़ाम क़िसी और क़ो देते हैं l
पहले नाम था मेरा उनक़े लबोंपर,
अब वो नाम क़िसी और क़ा लेते हैं ll

8019
तुमने हीं लग़ा दिया,
इल्ज़ाम--बेवफ़ाई...
अदालत भी तेरी थी,
ग़वाह भी तू हीं थी.......!

8020
क़मालक़ा शख्स था,
ज़िसने ज़िन्दग़ी तबाह क़र दी...
राजक़ी बात हैं,
दिल उससे ख़फ़ा अब भी नहीं...

8011 - 8015 दिल दरिया ज़िन्दगी क़ोशिश याद ज़माना वज़ूद फ़िक़्र इल्ज़ाम शायरी


8011
सबक़ो फ़िक़्र हैं अपने आपक़ो,
सहीं साबित क़रनेक़ी...
ज़ैसे ज़िन्दगी नहीं,
क़ोई इल्ज़ाम हैं.......

8012
दिल वो दरिया हैं,
ज़िसे मौसम भी क़रता हैं तबाह ;
क़िस तरह इल्ज़ाम धर दें,
हम क़िसी तैराक़पर...ll
नवीन सी. चतुर्वेदी

8013
वहशतमें ज़माना मुझे,
बदनाम क़रता...
हो ज़ाता रफ़ू चाक़,
ज़ो इल्ज़ामसे पहले...
                           नज़र बर्नी

8014
क़ोशिशक़े बावज़ूद,
ये इल्ज़ाम रह ग़या...
हर क़ाममें हमेशा,
क़ोई क़ाम रह ग़या...
निदा फ़ाज़ली

8015
मै अपने दुश्मनोंक़े वास्ते भी,
क़ाम आती हूँ...
क़ोई इल्ज़ाम देना हो,
मुझेही याद क़रते हैं.......!