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इस वास्ते क़ि,
आव-भग़त मयक़देमें हो...
पूछा जो घर क़िसीने,
तो क़ाबा बता दिया.......!
रियाज़ ख़ैराबादी
9132इतने मायूस तो हालात नहीं,लोग़ क़िस वास्ते घबराए हैं...?जाँ निसार अख़्तर
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हर एक़ सम्त यहाँ,
वहशतोंक़ा मस्क़न हैं...
ज़ुनूँक़े वास्ते,
हरा ओ आशियाना क़्या...
अज़हर इक़बाल
9134अहल-ए-ज़ुनूँपें ज़ुल्म हैं,पाबंदी-ए-रुसूम...ज़ादा हमारे वास्ते,क़ाँटा हैं राहक़ा.......नातिक़ ग़ुलावठी
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क़ैसी हैं आज़माइशें,
क़ैसा ये इम्तिहान हैं...
मेरे ज़ुनूँक़े वास्ते,
हिज्रक़ी एक़ रात बस.......
अफ़ीफ़ सिराज़