13 June 2017

1395


खुश तो वो रहते हैं जो
"जिस्मों" से मोहब्बत करते है ...
क्यूंकि... !!

रूह" से मोहब्बत करने वालों को अक्सर ...
"तड़पते" ही देखा है...!!

1394


सजा बन जाती है,
गुजरे हुए वक़्त की यादें...

न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए,
जिंदगी में आते है लोग.......

1393


हमने उन्हें कहा की
तुम नही होते तो रोना आता है...

वो बोले रोते तो सब है
क्या मै सबका हो जाऊँ...

1392


क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा;
हर वक़्त क्यों सोचें कि बुरा होगा;
बढ़ते रहें मंज़िलों की ओर हम;

कुछ ना मिला तो क्या हुआ,
तज़ुर्बा तो नया होगा...।

1391


अपने मतलब के अलावा
कौन किसी को पूछता है,

बिना रूह के तो घर वाले
मय्यत को भी नहीं रखते...

12 June 2017

1390


आजकल सवाल ही सवाल खिलते हैं,
फूलों की तरह . . . ,

जवाब गुम-सुम से मिट्टी में,
दबे रहते हैं . . . !

1389


कभी मुस्कुराती आँखें भी,
कर देती हैं कई दर्द बयां,

हर बात को रोकर ही बताना,
जरूरी तो नहीं ...

1388


ज़िंदगी जीने को एक यहाँ ख्वाब मिलता है,
यहाँ हर सवाल का झूठा जवाब मिलता है,
किसे समझे अपना किसे पराया,

यहाँ हर चेहरे पे एक नकाब मिलता है !

1387


सोया तो था मैं,
जिंदगी को अलविदा कहकर दोस्तो…

किसी की बे-पनाह दुआओ ने मुझे
फिर से जगा दिया… 

1386


तुम्हे क्या पता,
किस दर्द मे हूँ मैं,

जो लिया नही...
उस कर्ज मे हूँ मैं.......

8 June 2017

1385


मनुष्य की ख़्वाहिश होती हैं ,
उसे सब "पहचाने" .......
साथ में उसे डर सताता हैं कि ,

कोई उसे सही में "पहचान" न ले ।।

1384


रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई,
दिल की दुनियां पे छा गया कोई... 

ता कयामत किसी तरह न बुझे,
आग ऐसी लगा गया कोई... 

दिल की दुनियां उजाड़ सी क्यूं हैं,
क्या यहां से चला गया कोई... 

वक्त-ए-रुखसत गले लगाकर ‘दाग़’.

हंसते-हंसते रुला गया कोई...!

1383


दिल के शीशे पे घुबार बहुत हैं

आज कुछ देर रो लिया जाए...

1382


किस ख़त में लिख कर भेजूं
अपने इंतज़ार को तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और

ढूंढता है ख़ामोशी से तुझे।

1381


शब्द मेरे सुनकर
वाह वाह सब करते हे...

मौन मेरा सुन सके,
काश ऐसा कोई मिले।

7 June 2017

1380


पतझड़ भी हिस्सा है
जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है कुदरत
में पत्ते सूखते हैं और

हकीकत में रिश्ते।

1379


चैन से रहने का हमको
मशवरा मत दीजिये,
अब मजा देने लगी है

जिन्दगी की मुश्किलें।

1378


तू सुन पाता,
खामोश सिसकियां मेरी,
आवाज़ करके रोना तो मुझे…….
आज भी नहीं आता।

1377


बदल गया वक़्त बदल गयी बातें,
बदल गयी मोहब्बत. . . ;
कुछ नहीं बदला तो वो है,
इन आँखों की नमी और

तेरी कमी।

1376


चलती नहीं दुनिया किसी के आने से,
रूकती नहीं दुनिया किसी के जाने से...
प्यार तो सबको मिल जाता है,

कमी का पता तो चलता है किसी के दूर जाने से...