1621
क्या बात करे इस दुनियाँकी,
"हर शख्सके अपने अफसाने हैं ;
जो सामने हैं, उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नहीं उसे सब "खुदा" कहते हैं...
1622
"लोग अपना बनाके छोड़ देते हैं,
अपनोंसे रिश्ता तोड़कर, गैरोंसे जोड़ लेते हैं,
हम तो एक फूल ना तोड़ सके,
ना जाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं......."
1623
तमन्नाने जिंदगीके आँचलमें,
सर रख कर पूछा, "मैं कब पूरी होऊँगी...?"
जिंदगीने हँसकर कहा...
"जो पूरी हो जाये वह तमन्ना ही क्या...?"
1624
शुक्र करो कि
दर्द सहते हैं लिखते नहीं,
वर्ना कागजोंपें
लफ्जोंके जनाजे उठते...
1625
"रुकावटें तो जनाब,
ज़िन्दा इन्सानके हिस्सेमें ही आती हैं,
वर्ना अर्थीके लिए,
रास्ता तो सभी छोड़ देते हैं..."