20 November 2017

1986 - 1990 मोहब्बत याद फैसले अफ़सोस धड़कन ज़िंदगी किस्सा हिस्सा रूह लफ्ज रिश्ता हसरत चाह शायरी


1986
इतने बुरे भी नहीं थे हम,
जो तूने ठुकरा दिया...
याद रख इसी फैसलेपर,
एकदिन तुझेभी अफ़सोस होगा.......

1987
तेरी धड़कन ही ज़िंदगीका किस्सा हैं मेरा,
तू ज़िंदगीका एक अहम् हिस्सा हैं मेरा...
मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जोंकी नहीं हैं,
तेरी रूहसे रूह तकका रिश्ता हैं मेरा...

1988
बड़ी हसरत थी कि हमें भी कोई
टुटके चाहता...!
पर हम खुद ही टुट गये किसीको
चाहते-चाहते.......!

1989
जो लोग जिन्दगीसे चले जाते हैं,
वो लोग दिलसे भी क्यूँ नहीं चले जाते !

1990
जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानी थी,
अब धुऐंपर तमाशा कैसा और राखपर बहस कैसी...
उनकी मुहब्बतपर मेरा हक तो नहीं,
पर दिल चाहता हैं आखरी साँसतक उनका इंतजार करू !

19 November 2017

1981 - 1985 दिल इश्क जिंदगी आँखें शराब दूरियाँ फ़ासले नज़दीकियाँ उधार चीज़ कफ़न नज़रें कलम आँसु शायरी


1981
पूछा जब उन्होंने,
लिखने लगे कबसे ज़नाब,
कहाँ आँखें आपकी,
लगने लगी जबसे शराब।

1982
" दूरियों " का ग़म नहीं
अगर " फ़ासले " दिलमें न हो।
" नज़दीकियाँ " बेकार हैं,
अगर जगह दिलमें ना हो।

1983
जिंदगीसे कोई चीज़,
उधार नहीं मांगी मैंने ...
कफ़न भी लेने गए तो,
जिंदगी अपनी देकर . . . !

1984
मैं भी हुआ करता था वकील,
इश्क वालोंका कभी.......
नज़रें उससे क्या मिलीं...
आज खुद कटघरेमें हूँ मैं...!!

1985
लिखा तो था तेरे बगैर खुश हूँ...
पर कलमसे पहले आँसु गिर गये।

18 November 2017

1976 - 1980 मोहब्बत अल्फ़ाज़ हिसाब ख्याल तहाशा लफ्ज़ माचिस बरबाद बारिश दुआ क़बूल इजाजत महफिले अकेले शायरी


1976
चलो फ़िरसे मुस्कुराते हैं …
बिना माचिससे लोगोंको जलाते हैं .......

1977
अल्फ़ाज़ ढूँढनेकी,
ज़रूरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे बे-हिसाब ख्यालोंने...
बे-तहाशा लफ्ज़ दिए.......

1978
माँगनेसे मिल जाय़े
तो मौत कैसी...
बिना बरबाद हुए मीले
वो मोहब्बत कैसी.......

1979
सुना हैं बारिशमें,
दुआ क़बूल होती हैं...
अगर हो इजाजत तो...
माँग लूँ तुम्हे.......!

1980
हजार महफिले हैं,
लाख मेले हैं,
पर तू जहाँ नहीं
हम अकेले ही अकेले हैं !!

17 November 2017

1971 - 1975 इश्क़ दिल ज़िन्दगी साँस दीदार ख़ामोशी इंतज़ार इबादत खुबसूरत ख्याल धड़कन शायरी


1971
किस ख़तमें लिख कर भेजूं,
अपने इंतज़ारको तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और...
ढूंढता हैं ख़ामोशीसे तुझे...।।

1972
यह इश्क हैं या इबादत...
कुछ समझ नहीं आता;
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम...
जो दिलसे नहीं जाता...!

1973
मेरी चाहतें उनसे अलग कब हैं,
दिलकी बातें उनसे छुपी कब हैं;
वो साथ रहे दिलमें धड़कनकी जगह,
फिर ज़िन्दगीको साँसोंकी ज़रूरत कब हैं।

1974
शिकायत नहीं जिंदगीसे,
कि उनका साथ नहीं...
बस वो ख़ुश रहे,
हमारी तो कोई बात नहीं...

1975
उनको उलझाकर,
कुछ देर सवालोंमें,
हमने जी भरके उनका,
दीदार कर लिया...!!!

1966 - 1970 दिल इश्क प्यार पास एहसास गलती चेहरे कफ़न याद दिमाग कब्ज़ा गम इजाजत धडकन पलकें शायरी


1966
बहुत रोये वो हमारे पास आकर,
जब एहसास हुआ उन्हें अपनी गलतीका,
चुप तो करा देते हम अगर,
चेहरेपें हमारे कफ़न ना होता...

1967
तेरी यादोंने कर लिया हैं,
मेरे दिलो-दिमागपें कब्ज़ा,
अब किसी गमको...
अंदर आनेकी इजाजत ही नहीं !!!

1968
धडकनोंको कुछ तो,
काबूमें कर ए दिल...
अभी तो सिर्फ पलकें झुकाई हैं...
मुस्कुराना अभी बाकी हैं उनका.......

1969
हमें तो प्यारके,
दो लफ्ज भी नसीब नहीं...
और बदनाम ऐसे हैं;
जैसे इश्कके बादशाह थे हम...

1970
तो क्या हुआ जो आप,
नहीं मिलते हमसे...!
मिला तो रब भी नहीं हमें,
मगर इबादत तो बंद नहीं की...!

15 November 2017

1961 - 1965 दिल प्यार इश्क याद किस्मत ज़मीन फितरत आँसु दर्द दुआ लफ़्ज़ कबूल बेकरार जुदाई मोहताज साँस शायरी


1961
ये तो ज़मीनकी फितरत हैं की,
वो हर चीज़को मिटा देती हैं,
वरना तेरी यादमें गिरने वाले,
आँसुओंका अलग समंदर होता…!!

1962
दुआओंको भी,
अजीब इश्क हैं मुझसे…
वो कबूल तक नहीं होती,
मुझसे जुदा होनेके डरसे।।

1963
तलब ऐसी... कि,
साँसोमें समालूँ तुझे...
किस्मत ऐसी कि,
देखनेको मोहताज हूँ तुझे.......

1964
सुनो, ये जो तुम... लफ़्ज़ोंसे,
बार बार चोट देती हो ना...
दर्द वहीं होता हैं...
जहाँ तुम रहती हो.......

1965
आपकी याद दिलको बेकरार करती हैं;
नज़र तलाश आपको बार-बार करती हैं;
गिला नहीं जो हम हैं दूर आपसे;
हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती हैं...

14 November 2017

1951 - 1960 दिल दिमाग जिंदगी दर्द रिश्ता प्यार नफरत हमसफर साथ अहसास महसूस तन्हाई किस्मत गम शायरी


1951
" दर्द "
सभी इंसानोमें हैं, मगर...  
कोई दिखाता हैं तो...
कोई छुपाता हैं...

1952
" रिश्ता "
कई लोगोंसे होता हैं, मगर...
कोई प्यारसे निभाता हैं तो...
कोई नफरतसे निभाता हैं...

1953
" हमसफर "
सभी हैं, मगर...
कोई साथ देता हैं तो...
कोई छोड देता हैं.....

1954
" अहसास "
सबको होता हैं, मगर...
कोई महसूस करता हैं तो...
कोई समज नहीं पाता...

1955
" प्यार "
सभी करते हैं, मगर...
कोई दिलसे करता हैं तो...
कोई दिमागसे करता हैं...

1956
" जिंदगी "
सभी जीते हैं, मगर...
कोई सबकुछ आनेके...
बाद भी दुखी रहते हैं, तो...
कोई लुटाके खुश रहते हैं ...

1957
" दोस्ती "
सभी करते हैं, मगर...
कुछ लोग निभाते हैं...
कुछ लोग आमाते हैं...

1958
आसमानसे तोड़कर 'तारा' दिया हैं,
आलम-ए-तन्हाईमें एक शरारा दिया हैं,
मेरी 'किस्मत' भी 'नाज़' करती हैं मुझेपें,
खुदाने 'दोस्त' ही इतना प्यारा दिया हैं ll

1959
"दोस्तोंकी कमीको पहचानते हैं हम,
दुनियाँके गमोंको भी जानते हैं हम,
आप जैसे दोस्तोंका सहारा हैं, 
तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम l"

1960
छू ले आसमान, ज़मीनकी तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी, खुशीकी तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीखले, वजहकी तलाश ना कर l

13 November 2017

1946 - 1950 ज़िन्दगी किनारा राह बात ख्वाहिशें हद बेवफा हीरा वक्त ज़ख्म किताब कहानी पहचान शायरी


1946
"नदी जब किनारा छोड़ती हैं,
तो राहमें चट्टान तक तोड़ देती हैं,
बात छोटीसी अगर चुभ जाये दिलमें,
ज़िन्दगीके रास्तोंको भी मोड़ देती हैं...!"

1947
ख्वाहिशें भी कितनी बेवफा होती हैं...
पुरी होते ही बदल जाती हैं.......

1948
"नायाब हीरा" बनाया हैं,
रबने हर किसीको...
पर "चमकता" वहीं हैं जो,
"तराशने" की हदसे "गुजरता" हैं...

1949
लोग कहते हैं कि,
वक्त हर ज़ख्मको भर देता हैं...
पर किताबोंपर धूल जमनेसे,
कहानी बदल नहीं जाती...

1950
कर्मसे ही इंसानको ''पहचान'' मिलती हैं...
नामका क्या हैं ?
नाम तो लाखों लोगोंके
एक जैसे होते हैं...

11 November 2017

1941 - 1945 दिल एहसास मोहब्बत जिंदगी दुआ तलब याद आँख आँसु दूरियाँ रिश्ते आरजू तमन्ना शायरी


1941
तेरी मोहब्बतकी तलब थी,
इसलिये हाथ फैला दिये...
वरना हमने कभी खुदासे,
अपनी जिंदगीकी दुआ भी नहीं मांगी,,,

1942
वो जिसकी यादमें हमने,
जिंदगी खर्च दी अपनी...
वो शख्स आज मुझको,
गरीब कहकर चला गया.......

1943
होता हैं अपनी आँखका आँसु भी बेवफा,
वो भी निकलता हैं तो किसी औरक़े लिए...

1944
दूरियोंसे रिश्ते नहीं टूटते,
ना पास रहनेसे जुड़ते हैं,
दिलोंका एहसास हैं ये रिश्ते,
इसीलिए हम तुम्हे, तुम हमे नहीं भूलते !

1945
कभी नीमसी जिंदगी...
कभी 'नमक' सी जिंदगी !
ढूँढते रहे उम्रभर...
एक 'शहद' सी जिंदगी !
ना शौक बडा दिखनेका...
ना तमन्ना 'भगवान' होनेकी !
बस आरजू जन्म सफल हो...
कोशिश 'इंसान' होनेकी !!!

10 November 2017

1936 - 1940 दिल दर्द आईने निगाह खंज़र शाबासी सख़्त रिश्ते तमीज़से नफरत बाजार मजा अधूरा सपना रौशन फर्क शायरी


1936
आईनेमें कल अपनी पीठसे,
निगाह जा मिली...
अनगिनत खंज़र और,
थोड़ीसी शाबासी पड़ी मिली...

1937
सख़्त हाथोंसे भी,
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ,
रिश्ते ज़ोरसे नहीं,
तमीज़से थामे जाते हैं....||

1938
नफरतोंके बाजारमें,
जीनेका अलग ही मजा हैं;
लोग "रूलाना" नहीं छोडते,
और जिंदादिल "हसना" नहीं छोडते ।

1939
हर सपना ख़ुशी पानेके लिए पूरा नहीं होता;
कोई किसीके बिना अधूरा नहीं होता;
जो चाँद रौशन करता हैं रातभरको;
हर रात वो भी पूरा नहीं होता।

1940
लोगोंमें और हममें,
बस इतनासा फर्क हैं...
की लोग दिलको दर्द देते हैं,
और हम दर्द देनेवालेको दिल देते हैं !

9 November 2017

1931 - 1935 दिल याद आवाज़ ख़बर निगाहें बदनाम अजीब शख्स जुबां खंजर तलाश दिये लकीर हथेली शायरी


1931
काश दिलकी आवाज़में,
इतना असर हो जाए...
हम याद करें उनको,
और उन्हें ख़बर हो जाए !

1932
काँटोंका तो नाम ही बदनाम हैं...
चुभती तो निगाहें भी हैं...

1933
मेरे कत्लके लिए तो,
मीठी जुबां ही काफी थी़...
अजीब शख्स था वो जो,
खंजर तलाशता रहा़...

1934
तुमने भी हमें बस,
एक दियेकी तरह समझा था,
रात गहरी हुई तो जला दिया...
सुबह हुई तो बुझा दिया.......!

1935
उसने देखा ही नहीं,
अपनी हथेलीको कभी...
उसमें हलकीसी लकीर,
मेरी भी थी...

1926 - 1930 प्यार इजहार मोहब्बत बाजार एहसास बात ज़िक्र फिक्र खुदकुशी चेहरे गौर परछाई दाग चाह शायरी


1926
कुछ इस तरह,
वो मेरी बातोंका ज़िक्र किया करती हैं...
सुना हैं वो आज भी,
मेरी फिक्र किया करती हैं...!

1927
'दिखावे' की मोहब्बतका,
चलता हैं 'बाजार' यहाँ;
सच्चे एहसास रोज,
'खुदकुशी' करते हैं...!

1928
बहुत गौर किया,
तेरे चेहरेपें...
तब पता चला...
तेरे चेहरेकी परछाई,
चाँदपें दाग बन गया...

1929
उन्हे चाहना हमारी कमजोरी हैं,
उनसे कह नहीं पाना हमारी मजबूरी हैं,
वो क्यूँ नहीं समझते हमारी खामोशीको,
क्या प्यारका इजहार करना जरुरी हैं ?

1930
उनकी शानमें क्या नज़्म कहूँ,
अल्फाज नहीं मिलते...
कुछ गुलाब ऐसे भी हैं,
जो हर शाखपें नही खिलते...!