9 February 2020

5451 - 5455 शोर राख धुआँ नाम खास रिश्ते शायरी


5451
जो रिश्ते गहरे होते हैं...
वो अपनापनका शोर नही मचाते !

5452
कुछ रिश्ते थे,
जो निभाए ना गए...
और जो निभाने थे,
वो बनाए ना गए.......

5453
उलझे जो कभी हमसे... तो,
तुम सुलझा लेना l
तुम्हारे हाथमें भी रिश्तेका,
एक सिरा होगा...ll

5454
ना राख उड़ती हैं,
ना धुआँ उठता हैं...
कुछ रिश्ते यूँ चुपचाप,
जला करते हैं.......

5455
कोई नाम नही,
इस रिश्तेका मगर;
फिर भी मेरे लिए,
तुम बहुत खास हो...!

5446 - 5450 मोहब्बत मसरूफ खबर रफ़ू लहू शतरंज शौकीन मोहरे धोखा लिबासों रिश्ते शायरी


5446
मसरूफियतके दौरमें,
खबरही नहीं हुई...
उठकर बड़े करीबसे,
कुछ रिश्ते चले गए...

5447
पलोकी उधेड़बुनमें,
ना जाने कितने रिश्ते उधड़ गए;
मैं रफ़ू करता रहा,
ना जाने फिर भी अपने क्यों बिछड़ गए...

5448
सुईकी नोकपर टिके हैं सारे रिश्ते...
जरासी चूक हुई नहीं कि,
चुभकर लहूलुहान कर देते हैं.......

5449
शतरंजका शौकीन नही था,
इसलिये धोखा खा गया;
वो मोहरे चला रहे थे,
मैं रिश्ते निभा रहा था...

5450
मैले हो जाते हैं रिश्ते भी,
लिबासोंकी तरह...
कभी-कभी इनको भी,
मोहब्बतसे धोया कीजिए...

7 February 2020

5441 - 5445 जरूरी जरूरत मजबूरी कामयाब तडप पसंद काँच कच्चे रिश्ते शायरी


5441
कल तक मैं जरूरत था,
आज जरूरी भी नहीं...
कल तक मैं एक रिश्ता था,
आज मजबूरी भी नहीं...

5442
जब मिलो किसीसे तो,
जरा दूरका रिश्ता रखना;
बहोत तडपाते हैं,
अकसर सीनेसे लगाने वाले...

5443
दोनों तरफ़से निभाया जाये,
वही रिश्ता कामयाब होता हैं साहिब...
एक तरफ़से सेंक कर तो,
रोटी भी नहीं बनती.......

5444
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते,
जरा भी पसंद नही आते...
या तो लोहेकी तरह जोड़ दे,
या फिर धागेकी तरह तोड़ दे...!

5445
टूटे तो बड़े चुभते हैं.......
क्या काँच, क्या रिश्ते...!

5436 - 5440 फिक्र जिक्र अधूरा गुंज़ाइश क़ीमती किस्सा वजह कमज़ोर आज़माइशें रिश्ते शायरी


5436
आपकी "फिक्र" और "जिक्र",
करने के लिए...
हमारा कोई "रिश्ता" हो,
ये "जरूरी" तो नहीं.......!

5437
पता नहीं हमारे दरमियान,
यह कौनसा रिश्ता हैं...?
लगता हैं कि सालों पुराना,
अधूरा कोई किस्सा हैं.......!

5438
मुझे मालूम नहीं मेरे उससे,
अलग हो जानेकी वजह...
ना जाने हवाएँ तेज़ थी या,
मेरा उस शाखसे रिश्ता कमज़ोर था...?

5439
रिश्ता चाहे कोई भी हो,
हीरेक़ी तरह हो...
दिखनेमें छोटासा,
परन्तु क़ीमती और अनमोल हो...!

5440
जहाँ गुंज़ाइशें हैं,
वहीं हर रिश्ता ठहरता हैं l
आज़माइशें अक्सर,
रिश्ते तोड़ देती हैं...ll

5 February 2020

5431 - 5435 दिल इश्क़ मंज़िल मुश्किल जिक्र शुक्र आँसू बहाने दौलत ज़िन्दगी उल्फ़त शायरी


5431
राज़--उल्फत सीनेमें,
हम लिए फ़िरते हैं...
वो बयाँ अगर कर दें तो,
ज़िन्दगी ही संवर जाए...

5432

इश्क़में हर क़दम,
हैं इक मंज़िल...
राह--उल्फ़तकी,
मुश्किलात पूछ...

5433
दिलमें कुछ टूटने लगता हैं,
तेरे ज़िक्रके साथ...
चंद आँसू तेरी,
उल्फ़तके बहाने निकले...

5434
रिश्ता--उल्फ़तको,
ज़ालिम यूँ बेदर्दीसे तोड़...
दिल तो फिर जुड़ जाएगा,
लेकिन गिरह रह जाएगी...

5435
नक़्श--उल्फ़त मिट गया,
तो दाग़--उल्फ़त हैं बहुत...
शुक्र कर दिल कि तेरे,
घरकी दौलत घरमें हैं...!

4 February 2020

5426 - 5430 किस्सा कहानी गैर नवाब वफ़ा जफ़ा बात लज़्ज़त आँसु बदगुमान शायरी


5426
ना छेड़ किस्सा-- उल्फतका.
बड़ी लम्बी कहानी हैं...
मैं गैरोंसे नहीं हारा,
किसी अपनेकी मेहरबानी हैं...

5427
हैं ये उल्फ़त भी क्या बला साहब;
इसमें झुकते नवाब देखे हैं...
बशीर महताब


5428
उल्फ़तमें बराबर हैं,
वफ़ा हो कि जफ़ा हो... 
हर बातमें लज़्ज़त हैं,
अगर दिल में मज़ा हो... 
                    अमीर मीनाई

5429
साज़--उल्फ़त छिड़ रहा हैं,
आँसुओंके साज़ पर...
मुस्कुराए हम तो उनको,
बदगुमानी हो गई...
जिगर मुरादाबादी


5430
खुदा करे मेरी उल्फतमें,
तुम कुछ यूँ उलझ जाओ...
मैं तुमको दिलमें भी सोचूँ,
तो तुम समझ जाओ...

3 February 2020

5421 - 5425 दिल खामोश होंठ मय नशा आँख मंजिल सफ़र परहेज़ प्यार राह रिश्ता शायरी


5421
दिल खामोश हैं, मगर होंठ हँसा करते हैं,
बस्ती वीरान, हैं मगर लोग बसा करते हैं...
नशा मयकदों में अब कहाँ हैं यारों,
लोग अब मय का नहीं,
मैं का नशा करते हैं...

5422
दबे होंठोंको बनाया हैं,
सहारा अपना...
सुना हैं कम बोलने,
बहुत कुछ सुलझ जाता हैं...

5423
भले ही उसूल हमेशा,
खुदसे ऊपर रखना...
पर रिश्तोमें जरा झुकनेका,
जिगर रखना...!

5424
आँखोंमें पानी रखो, होंठोंपे चिंगारी रखो,
जिन्दा रहना हैं तो तरकीबे बहुत सारी रखो,
राहके पत्थरसे बढ़ के कुछ नहीं है मंजिले,
रस्ते आवाज देते है सफ़र जारी रखो...

5425
उसके मीठे होंठ,
और मैं शुगरका मरीज,
तुम ही बताओ साहब,
हम परहेज़ करते या प्यार...

2 February 2020

5416 - 5420 ख्याल याद मोहब्बत मिजाज दुनिया मर्ज़ दर्द इलाज शायरी


5416
ख्यालोका क्या हैं,
आते हैं, चले जाते हैं...
इलाज तो...
यादोंका होना चाहिए...!

5417
इलाज अपना कराते,
फिर रहे हो जाने किस किससे...
मोहब्बत करके देख लो,
शायद आराम मिल जाये...

5418
पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा...
कितना आसान था इलाज मेरा...!!!

5419
दुनियामें दो पौधे ऐसे हैं,
जो कभी मुरझाते नहीं;
और अगर जो मुरझा गए तो,
उसका कोई इलाज नहीं ll

5420
हर मर्ज़का इलाज,
नहीं दवाखानेमें...
कुछ दर्द चले जाते हैं,
तेरे साथ मुस्कुरानेमें...!!!

1 February 2020

5411 - 5415 जमाना खफा मेहरबां नाराज जिंदगी वक्त संस्कार परेशान परवाह शायरी


5411
परवाह नहीं अगर,
ये जमाना खफा रहें;
बस इतनीसी दुआ हैं,
की तू मेहरबां रहें.......!

5412
उनसे क्या नाराजगी रखना जिंदगी...
जिन्हें तुम्हारी परवाह तक भी नहीं.......!

5413
उनकी परवाह मत करो,
जिनका विश्वास वक्तके साथ बदल जाए;
परवाह सदा उनकी करो,
जिनका विश्वास आप पर तब भी रहें...
जब आपका वक्त बदल जाए !!!

5414
बोली बता देती हैं, इंसान कैसा हैं...
बहस बता देती हैं, ज्ञान कैसा हैं...
घमण्ड बता देता हैं, कितना पैसा हैं...
संस्कार बता देते हैं, परिवार कैसा हैं...

5415
इतनी भी जिद ना दिखाओ की,
सामनेवालाभी अपनी जिदपे अकड़े;
आपकी लापरवाह नजरअंदाजीसे,
खूब परेशान होके आपसे मूँह ही मोड़े...!
                                                   भाग्यश्री

31 January 2020

5406 - 5410 वफ़ा जन्नत वजह ख़्वाब दुनिया तोहफे कर्ज वक्त शायरी


5406
बस दो ही गवाह थे,
मेरी वफ़ाके...
वक्त और वो,
एक गुज़र गया दूसरा मुकर गया...

5407
सहेलियां जन्नत हैं या दौलत पता नहीं,
पर सहेलियां सुकून होती हैं;
वक्त कितना भी कठिन हो,
वह मुस्कुराहट की वजह होती हैं;
ये मेरे ख़्वाबोंकी दुनिया नहीं सही लेकिन,
अब गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ I
शादाब लाहौरी

5408
कितने चालाक हैं,
कुछ मेरे अपने भी...
तोहफे मे घडी तो दी,
मगर वक्त नही...

5409
खास हैं वो लोग,
इस दुनियामें जो...
वक्त आने पर,
वक्त दिया करते हैं...

5410
सदा उनके कर्जदार रहिये,
जो आपके लिये...,
कभी खुदका वक्त नहीं देखते