21 November 2021

7891 - 7895 इश्क़ तसव्वुर तन्हा सोच आँख़ आँसू क़तरा सुक़ून बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7891
सभीक़ो दुख़ था,
समंदरक़ी बेक़रारीक़ा...
क़िसीने मुड़क़े,
नदीक़ी तरफ़ नहीं देख़ा...

7892
इश्क़में चैन क़हूँ,
या आलम बेक़रारीक़ा...
तसव्वुर मरने नहीं देता,
तन्हा ज़ी नहीं सक़ते.......

7893
सोचा था उनसे,
दूर रहक़र शाद रहेंगे...
बेक़रारीसी बेक़रारी हैं,
और नाशाद हैं हम.......

7894
आँसू नहीं हैं आँख़में,
लेक़िन तेरे बग़ैर...
तूफ़ान छुपे हुए हैं,
दिल--बेक़रारमें.......

7895
बेक़रारी हैं क़भी,
पूरे समन्दरक़ी तरह...
और क़भी मिल ज़ाता हैं बस,
एक़ क़तरेमें सुक़ून.......

7886 - 7890 इश्क़ तस्वीर ख़्वाब सब्र इख़्तियार उलझन फ़रेब इंतेज़ार बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7886
आलम तो ये था क़ि,
दूरियाँ इतनी बढ़ ज़ाये...
पर बेक़रारी ने तो,
हद क़र दी.......!

7887
हम उनक़ा इंतेज़ार,
बेक़रारीसे क़रते रहे...
वो फ़रेबक़ा इख़्तियार,
बेक़द्रीसे क़रते रहे.......

7888
बेक़रारी इश्क़क़ी हैं,
ज़ाते ज़ाते ज़ाएग़ी...
सब्र आएग़ा तो, दिल...
आते आते आएग़ा.......!

7889
ना इंतज़ार, ना उलझन,
ना बेक़रारी हैं...
ना पूछ आज़ तेरी याद,
क़ितनी प्यारी हैं.......!!!

7890
तेरी तस्वीर ख़ुदमें हीं,
बेक़रारीक़ा साज़ो सामाँ हैं l
ख़ुमारियाँ क़हती हैं,
इम्तहाँ हैं इंतहाँ हैं,
ख़्वाबोंक़ी दास्ताँ हैं ll

19 November 2021

7881 - 7885 क़ैफ़ियत दिल इश्क़ ग़म तन्हाइयाँ सब्र फ़िक्र बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7881
क़ैफ़ियत ये बेक़रारीक़ी हैं,
अब हमक़ो अज़ीज़...
ये ख़ुमारी टूट ज़ाए तो,
बिख़र ज़ाएँगे हम.......

7882
फ़िक्र--बेक़रारीमें,
यूँ क़ाग़ज़ रहे सुर्ख़ होते l
क़लम चलती रहीं और,
मसाइल हलाक़ होते चले ग़ए ll

7883
वहीं शामक़ी परछाइयाँ,
दिलपें ग़मक़ी रानाइयाँ...
तक़ते बेक़रारीसे राहें,
मुझे घेरे हैं तन्हाइयाँ.......

7884
बेक़रारी दिले-बीमारक़ी,
अल्ला-अल्ला...
फ़र्शेग़ुल पर भी आना था,
आराम आया.......

7885
बेक़रारी इश्क़क़ी हैं,
ज़ाते ज़ाते ज़ाएग़ी...
सब्र आएग़ा तो,
दिल आते आते आएग़ा...!

18 November 2021

7876 - 7880 दिल दर्द शब आँख़ अश्क़ साँस उदास ग़फ़लत दीदार बेक़रारी प्यास बेक़रार शायरी

 

7876
दिलक़ी मेंरी बेक़रारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं...
शबक़ी मेरी आह--ज़ारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं.......

7877
आँख़में अश्क़, साँस भारी हैं...
ज़ाने क़्यों इतनी बेक़रारी हैं...?

7878
उम्रभर बस यहीं इक़ उदासी रहीं,
आपक़े दीदारक़ो आँख़ प्यासी रहीं,
आपक़े बाद ज़ानेक़े बस दो यहीं,
बेक़रारी रहीं बदहवासी रहीं.......

7879
दर्दसे मेरे हैं,
तुझक़ो बेक़रारी हाए हाए l
क़्या हुआ ज़ालिम,
तेरी ग़फ़लत शियारी हाए हाए ll

7880
ज़ो हो सक़े तो,
क़ोई टूटा हुआ वादा ही रख़ दे...
आँखोमें मेरी,
क़े आज़ बढ ग़यी हैं बेक़रारी,
हदसे क़हीं ज़्यादा मेंरी.......

7871 - 7875 मोहब्बत वफ़ा लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ दस्तक़ दिल एहसाँस ज़ज़्बात बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7871
मोहब्बत क़ी हैं तो,
अदब--वफ़ा भी सीख़ो...
ये चार दिनक़ी बेक़रारी,
मोहब्बत नहीं होती.......

7872
ज़ुम्बिश लबोंक़ी तेरी,
दस्तक़ थी दिलपें मेंरे,
उफ़्फ़ बेक़रारी--दिल,
था इंतज़ार एक़ हाँ क़ा...

7873
इस इंतज़ारक़ी घडीक़ो,
पल-पलक़ी बेक़रारीक़ो,
लफ़्ज़ोमें बयाँ क़ैसे क़र दूँ...?
मख़मली एहसाँसोक़ो,
रेशमी ज़ज़्बातोंक़ो,
अल्फ़ाज़ोमें बयाँ क़ैसे क़र दूँ...?

7874
क़ाश आपक़ी सूरत,
इतनी प्यारी ना होती...
क़ाश आपसे मुलाक़ात,
हमारी ना होती...
सपनोमें ही,
देख़ लेते हम आपक़ो...
तो आज़ मिलनेक़ी इतनी,
बेक़रारी ना होती.......!!!

7875
वो पूछते हैं हाल मेंरा,
इस बेक़रारीसे,
क़ी फ़िर मेंरा ठीक़ होना भी,
मुझे अच्छा नहीं लग़ता.......

15 November 2021

7866 - 7870 दिल इश्क़ याद सुक़ून आरज़ू अंदाज़ मोहब्बत नज़ाक़त बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7866
तेरी याद, तेरी तलब,
तेरी ही आरज़ू...
एक़ अज़बसा सुक़ून हैं,
इस बेक़रारीमें भी.......!

7867
आलम--बेक़रारी बता रहें हो,
ज़ाने क़्या बात हुई...
क़भी मोहब्बत, तो क़भी...
ख़ुशी लुटा रहें हो.......!!!

7868
ज़ो सबसे ज़ुदा हैं,
वो अंदाज़ हो तुम...
छुपा था ज़ो दिलमें,
वोही राज़ हो तुम...
तुम्हारी नज़ाक़त,
बनी ज़बसे चाहत,
सुक़ून बन ग़यी हैं,
हर एक़ बेक़रारी...!

7869
मुद्दतक़े बाद,
मुलाक़ातक़ा असर था,
या उसक़े ग़ुज़रे इश्क़क़ी,
ख़ुमारी थी...
दिल--बरबादक़ो
चैन भी उसक़े साथ था,
उसीक़े साथ ही बेक़रारी थी.......

7870
ये बेक़रारीक़ी मोहब्बतपर,
क़ुछ यूँ क़माल हो ज़ाए...
मेरी बेक़रारीसे उसक़ी,
बेक़रारीक़ा क़रार हो ज़ाए...!

14 November 2021

7861 - 7865 दिल इश्क़ याद बेचैनी ख़ामोश चीख़ आँख़ें ख़्वाब तनहाई बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7861
भुलूँ अग़र मैं, दिल...
तुम याद दिला देना ;
क़ितनी तनहाई,
क़ितनी बेक़रारी रहती हैं,
उन्हें हिसाब दे देना.......

7862
शबभर नींदमें भी अब,
नींद क़हाँ आती हैं...
फ़िराक़--यारमें,
हर ख़्वाब निक़ल ज़ाती हैं...!

7863
बेक़रारी मेरी देख़ली हैं...
तो अब ज़ब्त भी देख़ना...!
इतना ख़ामोश रहूँग़ा मैं,
क़े चीख़ उठेग़ा तू.......!!!

7864
इश्क़मैं तो,
हर चीज़ मिट ज़ाती हैं l
बेक़रारी बनक़े तडपाती हैं,
याद याद याद,
बस याद रह ज़ाती हैं.......ll

7865
आँख़ें ये सुर्ख़ सोनेसे नहीं,
मीठे ख़्वाबोंकी ये ख़ुमारी हैं...
क़ल तलक़ थी उधर ये बेचैनी,
हाँ इधर आज़ बेक़रारी हैं......!

7856 - 7860 दिल दर्द मोहब्बत शाम याद ख़ुशबू निग़ाह इन्तज़ार बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7856
दर्द होग़ा बेचैनी होग़ी,
बेक़रारी भी होग़ी...
अग़र मोहब्बत क़रते हो,
तुम्हें भी ये बिमारी ज़रूर होगी.......

7857
रातभर बेक़रारीक़ी सबब,
बनी ज़ो सनसनाहट...
वो सिर्फ़ हवाक़े झोंक़े थे,
यादोंक़े आँग़नमें.......

7858
चला ग़या ज़ो,
ख़ुशबू भी साथ अपने ले ज़ाता...
बेचैन दिलक़ी बेक़रारीक़ो,
थोड़ा क़रार ज़ाता.......

7859
निग़ाहोंमैं बसी उनक़ी ही सूरत,
फ़िरभी उनक़ा इन्तज़ा हैं...
तुझसे मिलनेक़ो ये दिल,
क़्यों इतना बेक़रार हैं.......

7860
ज़ैसे शाम ठिठक़ी हो बुझनेसे पहले,
रात आग़ाज़क़ो झुक़ी ज़ाती हो,
तुम उधर इंतज़ारमें...
मैं इधर बेक़रारीमें.......!

13 November 2021

7851 - 7855 दिल प्यार इंतिज़ार ज़िन्दग़ी सौदामोहब्बत शिक़वा बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7851
हम अपनी,
बेक़रारी--दिलसे, हैं बेक़रार...
आमेंज़-शि--सुक़ूँ हैं,
इस इज़्तिराबमें.......
                       अहसन मारहरवी

7852
बेक़रारी सी बेक़रारी हैं,
वस्ल हैं और फ़िराक़ तारी हैं...
ज़ो ग़ुज़ारी ज़ा सक़ी हमसे,
हमने वो ज़िन्दग़ी गुज़ारी हैं.......

7853
फ़िर तिरा इंतिज़ार देख़ेंगे,
दिलक़ो फ़िर बेक़रार देख़ेंगे...
                                  नीना सहर

7854
झुक़ी झुक़ीसी नज़र,
बेक़रार हैं क़ि नहीं...!
दबा दबासा सही,
दिलमें प्यार हैं कि नहीं...!!!

7855
क़र सौदा तू, शिक़वा हमसे,
दिलक़ी बेक़रारीक़ा...
मोहब्बत क़िसक़ो देती हैं,
मियाँ आराम दुनियामें.......
                       मोहम्मद रफ़ी सौदा

11 November 2021

7846 - 7850 दिल ज़ख़्म ज़िग़र चराग़ सुक़ूँ आबरू याद बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7846
फ़िर क़ुछ इस दिलक़ो बेक़रारी हैं,
सीना ज़ोया--ज़ख़्म--क़ारी हैं l
फ़िर ज़िग़र ख़ोदने लग़ा नाख़ून,
आमद--फ़स्ल--लालाक़ारी हैं ll
                                   मिर्ज़ा ग़ालिब

7847
रातभर बेक़रारीक़ी सबब,
बनी ज़ो सनसनाहट...
वो सिर्फ़ हवाक़े झोंके थे,
यादोंक़े आँगनमें.......

7848
क़ौल आबरूक़ा था,
क़ि ज़ाऊँग़ा उस ग़ली...
होक़रक़े बेक़रार देख़ो,
आज़ फ़िर ग़या.......
                     आबरू शाह मुबारक़

7849
ज़ो चराग़ सारे बुझा चुक़े,
उन्हें इंतिज़ार क़हाँ रहा...
ये सुक़ूँक़ा दौर--शदीद हैं,
क़ोई बेक़रार क़हाँ रहा.......
अदा ज़ाफ़री

7850
हो ग़ए नाम--बुताँ,
सुनते ही मोमिन बेक़रार...
हम क़हते थे क़ि,
हज़रत पारसा क़हनेक़ो हैं...?
                    मोमिन ख़ाँ मोमिन