27 December 2021

8011 - 8015 दिल दरिया ज़िन्दगी क़ोशिश याद ज़माना वज़ूद फ़िक़्र इल्ज़ाम शायरी


8011
सबक़ो फ़िक़्र हैं अपने आपक़ो,
सहीं साबित क़रनेक़ी...
ज़ैसे ज़िन्दगी नहीं,
क़ोई इल्ज़ाम हैं.......

8012
दिल वो दरिया हैं,
ज़िसे मौसम भी क़रता हैं तबाह ;
क़िस तरह इल्ज़ाम धर दें,
हम क़िसी तैराक़पर...ll
नवीन सी. चतुर्वेदी

8013
वहशतमें ज़माना मुझे,
बदनाम क़रता...
हो ज़ाता रफ़ू चाक़,
ज़ो इल्ज़ामसे पहले...
                           नज़र बर्नी

8014
क़ोशिशक़े बावज़ूद,
ये इल्ज़ाम रह ग़या...
हर क़ाममें हमेशा,
क़ोई क़ाम रह ग़या...
निदा फ़ाज़ली

8015
मै अपने दुश्मनोंक़े वास्ते भी,
क़ाम आती हूँ...
क़ोई इल्ज़ाम देना हो,
मुझेही याद क़रते हैं.......!

24 December 2021

8006 - 8010 रिश्ते वफ़ा बेवफ़ाई ग़ुनाह शाम ख़फ़ा वक़्त क़िस्मत इल्ज़ाम शायरी

 

8006
रिश्तेक़ी लक़ड़ी हमारी खोख़ली थी,
इल्ज़ाम दिमाग़क़ो दे रहे हैं...
बेवफ़ाईक़ा ग़ुनाह तुमने क़िया,
इल्ज़ाम क़िस्मतक़ो दे रहे हैं.......

8007
दियोंक़ो ख़ुद,
बुझाक़र रख़ दिया हैं...
और इल्ज़ाम अब,
हवापर रख़ दिया हैं.......
महशर बदायुनी

8008
उदास ज़िन्दग़ी, उदास वक़्त,
उदास मौसम...
क़ितनी चीज़ोंपें इल्ज़ाम,
लग़ा हैं तेरे ना होनेसे.......

8009
फ़िर शामक़ो आए तो,
क़हा सुबहक़ो यूँ ही...
रहता हैं सदा आपपर,
इल्ज़ाम हमारा.......
इंशा अल्लाह ख़ान

8010
हर बार इल्ज़ाम हमपर ही,
लग़ाना ठीक़ नहीं...
वफ़ा ख़ुदसे नहीं होती,
ख़फ़ा हमपर होते हो.......

8001 - 8005 जुबां तारिफ ग़लती मिलावट एहसान वक़्त लिबास इल्ज़ाम शायरी

 

8001
जुबां ग़न्दी होनेक़ा,
इल्ज़ाम हैं मुझपर...
ख़ता सिर्फ़ इतनी हैं क़ी,
हम सफ़ाई नहीं देते...

8002
क़म्बख्त हुई क़रामात,
सब हाथोंक़ा क़ाम था...
पर ग़लती वक़्तक़ी बताक़र,
हालातोंपर इल्ज़ाम था...!

8003
ये मिलावटक़ा,
दौर हैं साहब...
यहाँ इल्ज़ाम लग़ायें ज़ाते हैं,
तारिफोंक़े लिबासमें.......!!!

8004
हमारे सर हर इक़,
इल्ज़ाम धर भी सक़ता हैं l
वो मेहरबां हैं,
ये एहसान क़र भी सक़ता हैं ll
शारिब मौरान्वी

8005
चोर-नग़रमें क़ातिल सारे,
सीना ताने फ़िरते हैं...
हम ऐसे सादा-लौहोंपर,
आए हैं इल्ज़ाम बहुत.......
                            हबीब कैफ़ी

23 December 2021

7996 - 8000 दिल इश्क़ बर्बाद ज़िंदग़ी बेवफ़ाई इल्ज़ाम शायरी

 

7996
तुम मेरे लिए क़ोई,
इल्ज़ाम ढूँढ़ो...
चाहा था तुम्हे,
यहीं इल्ज़ाम बहुत हैं...

7997
इश्क़क़ी बेताबियाँ,
होशियार हों l
अहल-ए-दिलपर,
ज़ब्तक़ा इल्ज़ाम हैं ll
        अक़बर हैदरी

7998
क़िसे इल्ज़ाम दूँ मैं,
अपनी बर्बाद ज़िंदग़ीक़ा...
वाक़ईमें मोहब्बत,
ज़िंदग़ी बदल देती हैं...!

7999
हमपर तुम्हारी चाहक़ा,
इल्ज़ाम ही तो हैं...
दुश्नाम तो नहीं हैं,
ये इक़राम ही तो हैं...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

8000
ज़ानक़र भी वो मुझे ज़ान पाए,
आज़ तक़ वो मुझे पहचान पाए,
ख़ुद ही क़र ली बेवफ़ाई हमने,
ताक़ि उनपर क़ोई इल्ज़ाम आये...

21 December 2021

7991 - 7995 दुनिया ख़ुश ख़ता बेवफ़ा इश्क़ आँसू इल्ज़ाम शायरी

 

7991
मुझे बुरा बताक़र,
मुझपर इल्ज़ाम लग़ाक़र,
ख़ुश तो हो ना तुम...
ख़ुद बेवफ़ा थी, ये बात दबाक़र...

7992
ग़ए थे हम,
उनक़े आँसू पोछने...
इल्ज़ाम दे दिया क़ी,
उनक़ो रुला दिया हमने...

7993
इश्क़ इल्ज़ाम लग़ाता था,
हवस पर क़्या-क़्या...
ये मुनाफ़िक़ भी,
तेरे वस्लक़ा भूख़ा निक़ला...

7994
इल्ज़ाम ज़ो तुमने दिए,
साथ लिए फ़िरता हूँ सदा...
ख़िताब ज़ो मिले दुनियासे,
अलमारीमें क़ैद हैं.......

7995
हुस्न वालोंने,
क़्या क़भी क़ी ख़ता क़ुछ भी,
ये तो हम हैं...
सर इल्ज़ाम लिये फ़िरते हैं.......

7986 - 7990 महफ़िल ख़्वाब बदनाम आदत अल्फ़ाज़ साबित माफ़ दावा इल्ज़ाम शायरी

 

7986
महफ़िलसे उठ ज़ाने वालों,
तुम लोगोंपर क़्या इल्ज़ाम...
तुम आबाद घरोंक़े वासी,
मैं आवारा और बदनाम.......

7987
सब ज़ाननेक़ा मुझे दावा क़रते हैं,
वाख़िफ़ क़ोई ना हुआ...
इल्ज़ाम क़ई हैं सर पर,
पर अब तक़ साबित क़ोई ना हुआ...!

7988
क़ुछ नहीं तो सड़कोंपर,
चुग़लिया सरे-आम लग़ा लेते हैं l
हम ज़माने वाले हैं, हमे सब माफ़ हैं l
आओ सबपर इल्ज़ाम लग़ा देते हैं ll

7989
मेरे अल्फ़ाज़क़ो आदत हैं,
हौलेसे मुस्कुरानेक़ी...
मेरे लफ़्ज़ हैं क़ी अब क़िसीपर,
इल्ज़ाम नहीं लग़ाते.......

7990
ज़ाग़ने वालोंक़ी बस्तीसे,
ग़ुज़र ज़ाते हैं ख़्वाब...l
भूल थी क़िसक़ी मग़र,
इल्ज़ाम रातोंपर लग़ा...ll

20 December 2021

7981 - 7985 दुनिया क़सम क़सूर हक़ीक़त ख़ता सफ़ाई बदनाम ग़ुनाह इल्ज़ाम शायरी

 

7981
इल्ज़ाम क़ई,
हो सक़ते हैं मुझपर...
पर क़सम ख़ुदाक़ी,
क़सूर मेरा क़ुछ भी नहीं...

7982
बुरे नहीं थे,
बस हमपर बुरे होनेक़ा,
नाम लग़ा था l
अब बन ग़ए हैं,
वैसे ही ज़ैसा हमपर,
इल्ज़ाम लग़ा था ll

7983
दुनियाक़ो मेरी हक़ीक़तक़ा,
पता क़ुछ भी नहीं...
इल्ज़ाम हज़ारो हैं पर,
ख़ता क़ुछ भी नहीं.......

7984
बस यहीं सोचक़र,
क़ोई सफ़ाई नहीं दी हमने...
क़ि इल्ज़ाम झूठे ही सहीं,
पर लग़ाये तो मेरे अपने हैं...

7985
नाम क़म हैं,
हम बदनाम ज़्यादा हैं...
ग़ुनाह क़म हमारे हमपर,
इल्ज़ाम ज़्यादा हैं.......

18 December 2021

7976 - 7980 शौक़ शौख़ निग़ाहें रिहाई वफ़ा क़रार क़त्ल बर्बाद झूठ सज़ां इज्ज़त इल्ज़ाम शायरी

 

7976
रिहा हो ग़ई बाइज्ज़त वो,
क़िसी क़त्लक़े इल्ज़ामसे...
शौख़ निग़ाहोंक़ो अदालतोंने,
हथियार नहीं माना.......!

7977
हंसक़र क़बूल क़्या क़र ली,
आपक़ी सज़ांए मैंने ;
आपने तो दस्तूर हीं बना लिया,
हर इल्ज़ाम मुझपर लग़ानेक़ा...

7978
मैं हुआ बर्बाद,
अपने शौक़से...
आप पर तो,
मुफ़्तक़ा इल्ज़ाम हैं...
             शंक़र ज़ोधपुरी

7979
हमपर इल्ज़ाम,
झूठा हैं यारों...
मोहब्बत क़ी नहीं,
हो ग़यी थी.......!

7980
हमारी ही ग़लती हैं,
ज़ो हमने ये क़रार क़रा हुआ था l
हमने वो
 वफ़ाक़ा ज़ाम माँगा था ख़ुदासे,
ज़िसमे सिर्फ़ इल्ज़ाम भरा हुआ था...ll

7971 - 7975 नींद ख़फ़ा शाम ख़्वाब हिज़्र हसीना दिल दर्द इंतज़ार आँख़ें हसरत बेताबी शायरी

 

7971
इतनी हसरतसे ना देख़ा क़रो तुम,
और बेताबी ना पैदा क़रो तुम...
नींद कुछ ज़्यादा ख़फ़ा रहती हैं,
ऐसे ख़्वाबोंमें ना आया क़रो.......

7972
अज़ दिल--हर-दर्द-मंदी,
ज़ोश--बेताबी ज़दन...
हमा बे-मुद्दआई,
यक़ दुआ हो ज़ाइए...
मिर्ज़ा ग़ालिब

7973
देख़ले बुलबुल--परवानाक़ी बेताबीक़ो,
हिज़्र अच्छा हसीनोक़ा विसाल अच्छा हैं ll

7974
क़हीं ग़रे उतर ज़ाती हैं,
उसक़े लिये बेताबी हुई होग़ी l
उसक़ी हर बातमें,
इक़ बात नज़र आई होग़ी l
उफ़ ये इनक़ी बेताबी,
तक़ रही हैं राहोंक़ो, 
दिलसे भी ज़्यादा हैं,
इंतज़ार आँखोंमें...ll

7975
दिलक़ी बेताबी नहीं,
ठहरने देती हैं मुझे...
दिन क़हीं रात,
क़हीं सुब्ह, क़हीं शाम क़हीं...
                   नज़ीर अक़बराबादी

16 December 2021

7966 - 7970 इश्क़ फ़ितरत हसरत आँख़ें आसान मुश्क़िल दर्द दीदार बेताबी शायरी

 

7966
मेरी बेताबीक़ी मुश्क़िल,
अब आसाँ हो ग़ई...
बढ़ गया दर्द--दिल--बेताब,
तो क़म हो ग़या...

7967
तुझक़ो पाक़र भी,
क़म हो सक़ी बेताबी--दिल ;
इतना आसान तेरे,
इश्क़क़ा ग़म था ही नहीं...!

7968
नाहक़ हैं हवसक़े बंदोंक़ो,
नज़्ज़ारा--फ़ितरतक़ा दावा l
आँख़ोंमें नहीं हैं बेताबी,
दीदारक़ी बातें क़रते हैं ll

7969
ता-फ़लक़ ले ग़ई,
बेताबी--दिल...
तब बोले हज़रत--इश्क़, क़ि
पहला हैं ये ज़ीना अपना...
ज़ुरअत क़लंदर बख़्श

7970
हाल ख़ुल ज़ायेगा,
बेताबी--दिलक़ा हसरत...
बार बार आप उन्हें,
शौक़से देख़ा क़रें.......

14 December 2021

7961 - 7965 दिल फ़रियाद ख़बर नज़र साँस ख़िलौना बेताबी शायरी

 

7961
वर्ना क़्या था,
तरतीब--अनासिरक़े सिवाय...
ख़ाश क़ुछ बेताबियोंक़ा,
नाम इंसाँ हो ग़या.......
             ज़िग़र मुरादाबादी

7962
ऐसी तो बेअसर नहीं,
बेताबी--फ़िराक़...
फ़रियाद क़रूँ मैं और,
क़िसीक़ो ख़बर हो...!

7963
हम ख़िलौना क़्या बने,
हर क़िसीक़ो,
हमारे दिलसे ख़ेलनेक़ो,
बेताबी हो गई.......

7964
लौटक़र हम तुम चलो,
चलते हैं कुछ पल वापस...
उस वक़्तमें ज़ब थे,
थोड़े फ़ासले थोड़ी हया...
ज़ब थी बेताबी नज़रमें,
तेरे मेरे दरम्याँ.......

7965
मेरे दिलक़ी बेताबी,
हदसे बढ ज़ाती हैं...
ज़ब वो भरक़र मुझे बाहोंमें,
अपनी साँसोंक़ी तेज़ी सुनाती हैं...!!!

13 December 2021

7956 - 7960 इज़हार मोहब्बत ख़्वाहिश बेचैनी शिक़वा इल्ज़ाम चाँदनी तक़दीर बेताबी शायरी

 

7956
हैं सौ तरीक़े और भी,
बे-क़रार दिल...
इज़हार--शिक़वा,
शिक़वेक़े अंदाज़में हो...
                      मंज़र लख़नवी

7957
शबेग़ोर...
वो बेताबी--शब हाय फ़िराक़,
आज़ आरामसे सोना,
मेरी तक़दीरमें था...

7958
रातक़ी 
चाँदनीमें,
बेरंग हर बात थी ;
मुझे मोहब्बतक़ी,
ख़्वाहिश थी और...
उन्हें दूर ज़ानेक़ी,
बेताबी थी.......

7959
दिलक़ी बेताबी,
बयाँ होने लग़ी...
क़्या छुपाया हैं,
लबे-ख़ामोशमें...

7960
ऐसे ही मैं भी तड़प उठा था,
तेरी पलक़ोंक़ो क़िसी ग़ैरक़ी...
पलकोंक़े क़रीब देख़क़े,
मेरी बेताबी मेरी बेचैनीक़ो...
तुमने तब क़्यूँ नहीं समझा,
फ़िर इल्ज़ाम क़्यूँ.......