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झुक़ी हुई पलकोंसे ज़िनक़ा दीदार क़िया,
सब कुछ भुलाक़े ज़िनक़ा इंतज़ार क़िया l
वो ज़ान हीं न पाये ज़ज़्बात मेरे,
ज़िन्हें दुनियासे बढ़क़र मैंने प्यार क़िया ll
8267बहार निक़लेंगे तो,ख़ामख़ा हंग़ामा होग़ा...यहीं सोचक़र अपने ज़ज़्बातोंक़ो,अंदर क़ैद रख़ता हूँ.......!
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ज़रूरी थी फ़िर भी बात नहीं समझा,
अफसोस ये क़ि हालात नहीं समझा,
क़लेज़ा निक़ालक़र क़हते रहें मोहब्बत हैं,
मगर पत्थर दिलने मेरे ज़ज़्बात नहीं समझा...
8269ना पूछो उनक़ा हाल,जो अपने ज़ज़्बात दबाये फ़िरते हैं...दिल पलपल रोता हैं,लेक़िन वे मुस्कुराए फ़िरते हैं.......
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ज़ज़्बातक़ी शिद्दतसे,
निख़रता हैं बयाँ और...
ग़ैरोंसे मोहब्बतमें,
सँवरती हैं ज़बाँ और...
एहसान ज़ाफ़री