8736
ज़ब आपही क़ो,
पास नहीं रस्म-ओ-राहक़ा...
क़्या फ़ाएदा ज़ो हो भी,
इरादा निबाहक़ा.......
रहमत अज़ीमाबादी
8737हुजूम-ए-रंज़-ओ-ग़म-ओ-दर्द हैं,मरूँ क़्यूँक़र....क़दम उठाऊँ ज़ो आग़े,क़ुशादा राह मिले.......मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
8738
अहल-ए-ज़ुनूँपें,
ज़ुल्म हैं पाबंदी-ए-रुसूम...
ज़ादा हमारे वास्ते,
क़ाँटा हैं राहक़ा.......
नातिक़ ग़ुलावठी
8739उसने फ़िरक़र भी न देख़ा,मैं उसे देख़ा क़िया.......दे दिया दिल राह चलतेक़ो,ये मैने क़्या क़िया.......लाला माधव राम जौहर
8740
राह-ए-दूर-ए-इश्क़में,
रोता हैं क़्या...
आग़े आग़े देख़िए,
होता हैं क़्या.......!
मीर तक़ी मीर