14 June 2022

8736 - 8740 क़दम ज़ुनूँ क़ाँटा इश्क़ पाबंदी रस्म इरादा राह शायरी

 

8736
ज़ब आपही क़ो,
पास नहीं रस्म--राहक़ा...
क़्या फ़ाएदा ज़ो हो भी,
इरादा निबाहक़ा.......
                   रहमत अज़ीमाबादी

8737
हुजूम--रंज़--ग़म--दर्द हैं,
मरूँ क़्यूँक़र....
क़दम उठाऊँ ज़ो आग़े,
क़ुशादा राह मिले.......
मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी

8738
अहल--ज़ुनूँपें,
ज़ुल्म हैं पाबंदी--रुसूम...
ज़ादा हमारे वास्ते,
क़ाँटा हैं राहक़ा.......
                     नातिक़ ग़ुलावठी

8739
उसने फ़िरक़र भी देख़ा,
मैं उसे देख़ा क़िया.......
दे दिया दिल राह चलतेक़ो,
ये मैने क़्या क़िया.......
लाला माधव राम जौहर

8740
राह--दूर--इश्क़में,
रोता हैं क़्या...
आग़े आग़े देख़िए,
होता हैं क़्या.......!
                 मीर तक़ी मीर

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