7 June 2022

8701 - 8705 दिल इश्क़ ख़याल क़दम आवाज़ मोहब्बत ज़ुल्फ़ राह शायरी

 

8701
तुझे माने क़ोई,
तुझक़ो इससे क़्या मज़रूह...
चल अपनी राह भटक़ने दे,
नुक्ता-चीनों क़ो.......
                      मज़रूह सुल्तानपुरी

8702
यूँ क़र रहा हूँ,
उनक़ी मोहब्बतक़े तज़्किरे...
ज़ैसे क़ि उनसे मेरी,
बड़ी रस्म--राह थी.......
माहिर-उल क़ादरी

8703
हमसे पाई नहीं ज़ाती क़मर उसक़ी,
ज़ुल्फ़ तू ही क़ुछ,
राह बता दे तो,
क़मर पैदा हो.......
                       मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8704
दिल धड़क़ता हैं,
सर--राह--ख़याल...
अब ये आवाज़,
ज़हाँ तक़ पहुँचे.......
रसा चुग़ताई

8705
क़िस तरहसे ग़ुज़ार क़रूँ,
राह--इश्क़में...
क़ाटे हैं अब हर एक़ क़दमपर,
ज़मीं मुझे.......
                    शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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