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बिक़ ज़ाऊँ सस्ते दामोंमें...
ज़रूरतक़े वास्ते ;
उतरा हुआ ग़रीबक़ा...
ज़ेवर नहीं हूँ मैं ll
शहंशाह साबरी
9197क़्यूँ न फ़िरदौसमें,दोज़ख़क़ो मिला लें यारब...सैरक़े वास्ते थोड़ीसी,ज़ग़ह और सही.......मिर्ज़ा ग़ालिब
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राहतक़े वास्ते हैं,
मुझे आरज़ू-ए-मर्ग़...
ऐ ज़ौक़ ग़र ज़ो चैन न आया,
क़ज़ाक़े बाद.......
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
9199दर-हक़ीक़त,इत्तिसाल-ए-ज़िस्म-ओ-जाँ हैं ज़िंदग़ी...ये हक़ीक़त हैं क़ि,अर्बाब-ए-हिममक़े वास्ते.......आतिश बहावलपुरी
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नींदक़े वास्ते,
वैसे भी ज़रूरी हैं थक़न...
प्यास भड़क़ाएँ,
क़िसी साएक़ा पीछा क़र आएँ...!
शारिक़ क़ैफ़ी