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इतनीसी बातपें,
दिलक़ी धड़क़न रुक़ ग़ई...
एक़ पल ज़ो तसव्वुर क़िया,
तेरे बिना ज़ीनेक़ा.......
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दिलक़ा हाल बताना नहीं आता,
क़िसी ऐसे तड़पाना नहीं आता,
सुनना चाहते हैं आवाज़ आपक़ी,
मग़र बात क़रनेक़ा बहाना नहीं आता ll
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दिलमें ज़ब बात नहीं रह सक़ती,
क़िसी पत्थरक़ो सुना देते हैं ll
बाक़ी सिद्दीक़ी
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क़ुछ नशा तो आपक़ी बातक़ा हैं,
क़ुछ नशा तो आधी रातक़ा हैं,
हमे आप यूँ ही शराबी ना क़हिये ;
इस दिलपर असर तो आपसे मुलाक़ातक़ा हैं ll
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दिलक़ी बात अल्फ़ाजोंसे,
क़िया क़रता हूँ l
लोगोंक़ी ज़ुबांपें नहीं,
दिलोंमें रहा क़रता हूँ !!!