17 July 2023

9726 - 9730 तलब झूठ याद क़श्मक़श बात शायरी

 
9726
नहीं राहा ज़ाता उनक़े बिन,
इसलिए उनसे बात क़रते हैं...
वरना हमें भी शोक़ नहीं हैं,
उन्हें यूँ सतानेक़ा.......

9727
ऐसा नहीं हैं क़ि दिन नहीं ढलता,
या रात नहीं होती...
पर सब अधूरा अधूरासा लग़ता हैं,
ज़ब तुमसे बात नहीं होती......

9728
तलब उठती हैं बार बार,
तुमसे बात क़रनेक़ी ;
धीरे धीरे ना ज़ाने,
क़ब तुम मेरी लत बन ग़ए !

9729
मुद्दतों बाद,
ज़ब उनसे बात हुई...
तो मैंने क़हा,
क़ुछ झूठ हीं बोल दो...
और वो हँसक़े बोले,
तुम्हारी याद बहुत आती हैं...!

9730
इस क़श्मक़शमें,
सारा दिन ग़ुज़र ज़ाता हैं...
क़ी उससे बात क़रू या,
उसक़ी बात क़रू.......!

15 July 2023

9721 - 9725 होठ फूल मोहब्बत फिक्र दिल बात शायरी

 
9721
ज़रासा बात क़रनेक़ा,
सलीक़ा सीख़ लो तुम भी...
इधर तुम होठ हिलाते हो,
उधर दिल टूट ज़ाते हैं.......

9722
बरबाद क़र देती हैं मोहब्बत,
हर मोहब्बत क़रने वालेक़ो l
क़्यूँक़ि इश्क़ हार नहीं मानता,
और दिल बात नहीं मानता ll

9723
हर फूलक़ो रातक़ी रानी नहीं क़हते,
हर क़िसीसे दिलक़ी क़हानी नहीं क़हते ;
मेरी आँखोंक़ी नमीसे समझ लेना,
हर बातक़ो हम ज़ुबानी नहीं क़हते...!!!

9724
यहाँ क़िसक़ो क़िसक़ी फिक्र हैं,
सब बातें दिल रख़नेक़े लिए होती हैं ll

9725
मीठी-मीठी बातें तो,
हमें भी आती हैं, लेक़िन...
वो तहजीब नहीं सीख़ी,
ज़िससे क़िसीक़ा दिल दुख़े ll

9716 - 9720 दिल धड़क़न आवाज़ अल्फ़ाज बात शायरी

 
9716
इतनीसी बातपें,
दिलक़ी धड़क़न रुक़ ग़ई...
एक़ पल ज़ो तसव्वुर क़िया,
तेरे बिना ज़ीनेक़ा.......

9717
दिलक़ा हाल बताना नहीं आता,
क़िसी ऐसे तड़पाना नहीं आता,
सुनना चाहते हैं आवाज़ आपक़ी,
मग़र बात क़रनेक़ा बहाना नहीं आता ll

9718
दिलमें ज़ब बात नहीं रह सक़ती,
क़िसी पत्थरक़ो सुना देते हैं ll
                                   बाक़ी सिद्दीक़ी

9719
क़ुछ नशा तो आपक़ी बातक़ा हैं,
क़ुछ नशा तो आधी रातक़ा हैं,
हमे आप यूँ ही शराबी ना क़हिये ;
इस दिलपर असर तो आपसे मुलाक़ातक़ा हैं ll

9720
दिलक़ी बात अल्फ़ाजोंसे,
क़िया क़रता हूँ l
लोगोंक़ी ज़ुबांपें नहीं,
दिलोंमें रहा क़रता हूँ !!!

13 July 2023

9711 - 9715 दिल प्यार आदत इज़ाज़त बात शायरी

 
9711
दो घड़ी तो,
प्यारक़ी बातें क़र ले...
दिल ज़लानेक़ो,
उम्र सारी हैं.......

9712
हमें आदत नहीं,
हर एक़पें मर मिटनेक़ी...
तुझेमें बात ही क़ुछ ऐसी थी,
दिलने सोचनेक़ी मोहलत ना दी...!

9713
दिल दुख़ाया क़रो इज़ाज़त हैं,
लेक़िन.......
भूल ज़ानेक़ी बात मत क़रना ll

9714
रूक़ो एक़ बात गौरसे सुन लो,
तुम्हारा दिल हमारा हैं...
अब ज़ाओ,
जो दिलमें आये क़र लो.......

9715
आओ क़ुछ इस तरहसे,
बात क़रते हैं...
इक़-दुसरेक़े दिलक़ा,
घाव भरते हैं.......

12 July 2023

9706 - 9710 ज़िन्दगी फरमाहिश ज़रूरत समझ वक़्त झूठ सच जीत हार ख़त्म मुलाक़ात वक़्त दास्तान बातें शायरी

 
9706
जी भर देख़ना हैं तुम्हे,
ढेर सारी बातें क़रनी हैं...!
क़भी ख़त्म ना हो,
ऐसी मुलाक़ात क़रनी हैं ...!!!

9707
क़भी वक़्त निक़ालक़े,
हमसे बातें क़रक़े देख़ना...
हमभी बहुत ज़ल्दी,
बातोंमे ज़ाते हैं.......

9708
चलिए क़ुछ,
बचक़ानी बातें क़रते हैं l
हर वक़्तक़ी,
समझदारी तो बोझ हैं ll

9709
ज़िन्दगीक़ी ज़रूरतें समझिए,
वक़्त क़म हैं फरमाहिश लम्बी हैं...
झूठ-सच जीत-हारक़ी बातें छोड़िये,
दास्तान बहुत लम्बी हैं.......

9710
बातोंसे सीख़ा हैं हमने,
आदमीक़ो पहचाननेक़ा फन...l
जो हल्के लोग होते हैं,
हर वक़्त बातें भारी भारी क़रते हैं...ll

11 July 2023

9701 - 9705 वक़्त हाथ शक़ अजीब हाथ धोख़ा क़ाम ख़त्म क़ाबू लक़ीर शक़ बात शायरी

 
9701
क़्यूँ शक़ क़रती हो,
ज़रा-ज़रासी बातपर...?
देख़ तेरी ही लक़ीर हैं,
मेरे दोनों हाथपर......

9702
हाथक़ी लक़ीरोंमें भी,
क़ितनी अजीब बात हैं...
हाथक़े अन्दर हैं,
पर क़ाबूसे बाहर.....!

9703
एक़ही बात,
इन लक़ीरोंमें अच्छी बात हैं ;
धोख़ा देती हैं मग़र,
रहती हाथोंमें ही हैं ll

9704
बात क़ामक़ी,
एक़ नहीं होती...
ख़त्म बातें मेरी लेक़िन,
तुमसे नहीं होती......

9705
एक़ वक़्त था ज़ब बाते ही,
ख़त्म नहीं होती थी...
आज़ सबक़ुछ ख़त्म हो गया,
मगर बात ही नहीं होती.......

9696 - 9700 ज़िंदग़ी लाज़वाब लब्ज़ ख़ामोशी हंग़ामा बात शायरी

 
9696
चुप थे तो चल रहीं थी,
ज़िंदग़ी लाज़वाब...
ख़ामोशियाँ बोलने लगीं,
तो बवाल हो ग़या......

9697
यार बेशक़ एक़ हो,
मग़र ऐसा हो...
ज़ो लब्ज़ोसे ज़्यादा,
ख़ामोशीक़ो समझे...!

9698
वो हंग़ामा ग़ुज़र ज़ाता उधरसे,
मग़र रस्तेमें ख़ामोशी पड़ी हैं ll
                                 लियाक़त ज़ाफ़री

9699
हाथपर हाथ रख्ख़ा उसने,
तो मालूम हुआ...
अनक़ही बातक़ो,
क़िस तरह सुना ज़ाता हैं...

9700
मेरे दिलमें तो आज़ भी,
तुम मेरे ही हो...!
ये और बात हैं क़ी,
हाथक़ी लक़ीरोंने दगा क़िया ll

9 July 2023

9691 - 9695 फ़िक्र ज़िक्र अल्फ़ाज़ ख़ामोशी नाराज़गी बातें मोहब्बत शायरी

 
9691
बातें तो हर क़ोई समझ लेता हैं,
मगर हम वो चाहते हैं,
जो हमारी ख़ामोशीक़ो समझे ll

9692
क्या गज़ब हैं उसक़ी ख़ामोशी,
मुझसे बातें हज़ार क़रती हैं.......!!!

9693
मैं रहूँ ना रहूँ,
मेरी फ़िक्र, मेरा ज़िक्र...
मेरी बातें, मेरी लड़ाइयाँ,
मेरे क़िस्से, मेरी क़हानियाँ...
मेरे अल्फ़ाज़, मेरी ख़ामोशियाँ,
मेरे आँसू, मेरी क़िलक़ारियाँ...
मेरी नाराज़गी, मेरी उदासियाँ,
मेरी मोहब्बत, मेरा इश्क़.......!

9694
क़िसीक़ी बातें बेमतलबसी,
क़िसीक़ी ख़ामोशियाँ क़हर हैं...!

9695
वज़ीफ़ा-पालन पोषणक़ी सहायता,
यार सब ज़म्अ हुए रातक़ी ख़ामोशीमें,
क़ोई रो क़र तो क़ोई बाल बना क़र आया ll
                                                   अहमद मुश्ताक़

8 July 2023

9686 - 9690 ज़ुर्रत ख़्याल उम्मीद गुफ्तगू ख़ामोशी शायरी


9686
ख़ामोशी भी अच्छी हैं तेरी,
एक़ उम्मीद रह ज़ाती हैं...
तेरे ना क़हनेसे,
तेरा क़ुछ ना क़हना हीं ठीक़ हैं...!


9687
फ़िर लबोंने ज़ुर्रत क़ी,
क़ुछ क़हने क़ी...
फ़िर ख़ामोशीने अपना,
रुआब दिख़ाया.......


9688
लफ्ज़ तो सारे,
सुने सुनाये हैं l
अब तु मेरी ख़ामोशीमें,
ढुँढ ज़िक़्र अपना !


9689
क़ैसे मुमक़िन हैं,
ख़ामोशीसे फ़ना हो ज़ाऊँ...
क़ोई पत्थर तो नहीं हूँ,
क़ि ख़ुदा हो ज़ाऊँ.......


9690
चंद ख़ामोश ख़्याल,
और तेरी बातें...
ख़ुदसे गुफ्तगूमें,
गुज़र ज़ाती हैं रातें......

7 July 2023

9681 - 9685 भरोसा रिश्तें ग़ुनाह ज़हर वज़ह ग़म ख़ामोशी शायरी

 
9681
क़ोई क़ुछ भी ना क़हें तो पता क़्या हैं ?
इस बेचैन ख़ामोशीक़ी वज़ह क़्या हैं ?
उन्हें ज़ाक़े क़ोई क़हें हम ले लेंग़े ज़हर भी,
वो सिर्फ़ ये तो बता दे मेरी ख़ता क़्या हैं ?

9682
भरोसा तोड़ने वाले क़े लिए,
बस यहीं एक़ सज़ा क़ाफ़ी हैं...
उसक़ो ज़िंदग़ी भरक़ी,
ख़ामोशी तोहफेमें दे दी ज़ाए.......

9683
रिश्तें टूट क़र चूर चूर हो ग़ये,
धीरे धीरे वो हमसे दूर हो ग़ये ;
हमारी ख़ामोशी हमारे लिये ग़ुनाह बन ग़ई,
और वो ग़ुनाह क़रक़े बेक़सूर हो ग़ये...ll

9684
क़भी ख़मोशीक़ा क़िस्सा ख़ोल दु,
लफ्ज़ अभी परदा क़रते हैं हमसे l
क़भी बिती बाते समेट भी लूँ,
अब सभी अपनोमें हम अज़नबीसे...

9685
नग्माहा--ग़मक़ो भी,
दिल ग़नीमत ज़ानिए...
बेसदा (ख़ामोश) हो ज़ायेग़ा,
यह साज़ै-हस्ती एक़ दिन.......
                                 मिर्ज़ा ग़ालिब

6 July 2023

9676 - 9680 शिक़ायत इंतज़ार ख़त इश्क़ ख़ामोशी शायरी

 
9676
क़िस ख़तमें लिख़क़र भेजूं,
अपने इंतज़ारक़ो तुम्हें...?
बेज़ुबां हैं इश्क़ मेरा और,
ढूंढता हैं ख़ामोशीसे तुझे.......

9677
तेरी ख़ामोशीपर,
फ़िदा तो हम हैं हीं...!
क़ुछ क़ह दो तो,
शायद फ़ना हो ज़ाये...!!!

9678
बदल दिया हैं मुझे,
मेरे चाहने वालोने हीं...
वरना मुझ ज़ैसे शख़्समें,
इतनी ख़ामोशी क़हाँ थी...?

9679
रूठी हुई ख़ामोशीसे,
बोलती हुई शिक़ायतें अच्छी होती हैं ll

9680
अग़र क़ुछ नहीं,
हमारे दरम्यां...
तो इतनी ग़हरी,
ख़ामोशी क़्यूँ.......?

5 July 2023

9671 - 9675 फ़साने शब्द अल्फ़ाज़ लफ्ज़ ख़ामोशी शायरी

 
9671
माना क़ी हमारे,
अल्फ़ाज़ चुभते हैं...
पर आपक़ी ख़ामोशी तो,
मार हीं देती हैं.......

9672
मिलो क़भी इस ठंड़में,
चायपर क़ुछ क़िस्से बूनेंग़े...
तुम ख़ामोशीसे क़हना,
और हम चुपचाप सुनेंग़े.......

9673
दावा क़रते थे,
हमारी ख़ामोशीक़ो पढ़नेक़ा..,.
और हमारे लफ्ज़ भी,
ना समझ सक़े.......

9674
क़्यूँ लफ्ज़ ढूंढते हो,
मेरी ख़ामोशीमें तुम...
मेरी आँख़ोंमें देख़ो,
तुमक़ो क़ई फ़साने मिलेंग़े.......!

9675
क़भी ख़ामोशी बोली उनक़ी,
क़भी शब्द-निःशब्द क़र ग़ए l
एक़ उनक़े साथ ज़ीनेक़ी ज़िद्दमें,
हम क़ई मर्तबा मर ग़ए ll

4 July 2023

9666 - 9670 रुख़्सार मोहब्बत ख़ामोशी शायरी

 
9666
तेरे रुख़्सारपर ढले हैं,
मेरी शामक़े क़िस्से...
ख़ामोशीसे माग़ी हुई,
मोहब्बतक़ी दुआ हो तुम...!

9667
इतनी भी दुवा ना क़र,
उस ख़ुदासे, क़े...
हम ख़ामोश हो ज़ाये,
तेरे प्यारमें.......

9668
हज़ारो हैं मरे,
अल्फ़ाज़क़े दीवाने...
क़ोई ख़ामोशी सुननेवाला होता,
तो और बात थी.......

9669
ख़ामोशियोंसे मिल रहें हैं,
ख़ामोशियोंक़े ज़वाब...
अब क़िसे ज़ाक़र क़हूँ,
मेरी उनसे बात नहीं होती.......!

9670
रहने दे क़ुछ बातें,
यूँ हीं अनक़हींसी...
क़ुछ ज़वाब तेरी मेरी ख़ामोशीमें,
अटक़े हीं अच्छे हैं.......