14 May 2019

4246 - 4250 जिंदगी बेइन्तहा चमक याद रिश्ता घाव लगाव गुज़ारिश साँस सिफ़ारिश महक शायरी


4246
कुछ सितारोंकी चमक नहीं जाती,
कुछ यादोंकी खनक नहीं जाती;
कुछ लोगोंसे होता है ऐसा रिश्ता, 
कि दूर रहके भी उनकी महक नहीं जाती।

4247
आज तो जमके बरसे शायर...
वाह !
जिंदगीकी जमीं महक उठी...!

4248
तू बेइन्तहा बरसके तो देख...
मिट्टीका बना हूँ महक उठूंग...!

4249
शब्द महके तो लगाव करते हैं,
और...
शब्द बहके तो घाव करते हैं.......

4250
नाराज़ ना होना कभी,
बस यहीं एक गुज़ारिश हैं; 
महकी हुई इन साँसोंकी,
साँसोंसे सिफ़ारिश हैं

13 May 2019

4241 - 4245 लफ्ज़ इत्र जिक्र तलब बेवजह ख्याल फूल काँटे झूठ मुलाकात संगत महक शायरी


4241
लबोपर लफ्ज़ भी अब,
तेरी तलब लेकर आते हैं...
तेरे जिक्रसे महकते हैं और,
तेरे सजदेमें बिखर जाते हैं...!

4242
वो इत्रकी शिशीयाँ,
बेवजह इतराती हैं खुदपर...!
हम तो तेरे ख्यालोंसे ही,
महक जाते हैं.......!!!

4243
किसी गुलाबसे कोई,
मतलब नहीं मुझे...
आप और सिर्फ आप ही,
महकते हो मुझमें...!

4244
काँटोंको गाली दे रहे हो जनाब...
लगता हैं फूलोकी महकसे,
आपकी मुलाकात नहीं हुई...

4245
झूठ कहते हैं कि,
संगतका हो जाता हैं असर...
काँटोंको तो आज तक,
महकनेका सलीका नहीं आया...!

10 May 2019

4236 - 4240 नज़दीक हडताल मुस्कुरा बेशक बात दामन सूरत आँसु लकीरें खुशनसीब खुशबू शायरी


4236
तुम्हारी नज़दीकियाँ चाहता हूँ,
बिलकुल वैसे, जैसे हवामें खुशबू...!

4237
हवाए हडतालपर हैं शायद...
आज तुम्हारी खुशबू नही आयी.......

4238
जब तुम खुश होकर मुस्कुराते हो,
तो हम तुम्हें देखकर मुस्कुराते हैं...!
बेशक तुम मुस्कुरा लेती हों गैरोंके साथ...
मगर जब बात आँसुओंकी होती हैं,
तब दामन मेरा तलाशते हों.......!

4239
अपने हाथोंकी लकीरें,
बदल पाया...
खुशनसीबोसे बहुत,
हाथ मिलाये हमने...
 ​
4240
जबसे छूटा हैं गांव,
वो मिट्टीकी खुशबू नहीं मिलती...
इस भीड़ भरे शहरमें,
अपनोंकी सी सूरत नहीं मिलती...।

9 May 2019

4231 - 4235 जमाना तकलीफ नाम ख़्वाब मिज़ाज तरीका आदत वक्त कामयाब खुश शायरी


4231
बदल जाए चाहे सारा जमाना,
पर ना बदलना तुम कभी;
ख़्वाबोंके खुशनुमा शहरमें,
मिलने आना तुम कभी...!

4232
कोई कितना ही,
खुश-मिज़ाज क्यों  हो...
रुला देती हैं किसीकी,
कमी कभी-कभी...!

4233
हर किसीको खुश रख सकूँ,
मुझे वो सलीका नहीं आता 
क्यूंकि शायद मुझेजो मैं नहीं हूँ
वो दिखानेका तरीका नहीं आता 

4234
वक्तकी एक आदत बहुत अच्छी हैं,
जैसा भी हो गुजर जाता हैं 
कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता हैं 

4235
"दुनिया उन्हीकी खैरियत पूछती हैं,
जो पहलेसे ही खुश हों;
जो तकलीफमें होते हैं,
उनके तो नाम तक भूल जाते हैं...

8 May 2019

4226 - 4230 फितरत बात प्यार मुस्कुरा दुआ समझ रुखसार रिश्ते बेहतर महक खुश शायरी


4226
खुश रहना हो तो,
अपनी फितरतमें...
एक बात शुमार कर लो...!
ना मिले कोई अपने जैसा,
तो खुदसे प्यार कर लो.......!

4227
मुस्कुराना तो मेरी,
शक्सियतका हिस्सा हैं यारों...
तुम मुझे खुश समझकर,
दुआओंमें भूल मत जाना...!

4228
"मैं तेरे रुखसारका रंग हूँ...
जितना तुम खुश रहोगे...
उतना मैं सवर जाऊँगा...!"

4229
हम फूल तो नहीं,
पर महकना जानते हैं;
बिना रोये गम भुलाना जानते हैं...
लोग खुश होते हैं हमसे क्योकि,
हम बिना मिले ही...
रिश्ते निभाना जानते हैं...!

4230
बेहतर इन्सान आप तब होते हैं,
जब आप खुश होते हैं...
और...
बेहतरीन इन्सान आप तब होगे,
जब लोग आपसे खुश होगे.......!

7 May 2019

4221 - 4225 इश्क ज़िन्दगी मुस्कुरा आदत वजह मज़ा हैरान खुशबु खुश शायरी


4221
मुस्करानेकी आदत भी,
क्या महँगी पड़ी...
सब ये कहके चले गए की,
तुम तो अकेले भी खुश रह लेते हो...!

4222
उदासियोंकी वजह तो,
बहुत हैं ज़िन्दगीमें;
पर खुश रहनेका मज़ा,
आपके ही साथ हैं.......!

4223
हैरान करके मुझे,
लोग खुश हो जाते है l
और देखो ना,
मैं खुश रहकर...
लोगोको हैरान करता हूँ...ll

4224
खुशबु रही हैं,
ताजे गुलाबकी.......!
शायद खिडकी खुली रह गई हैं,
उनके मकानकी.......!!!

4225
जिसे पा नही सकते.......
उसे सोचकर ही,
खुश होना ' इश्क ' हैं.......

4216 - 4220 मोहब्बत दुनिया रूठ शिकायत नसीब बरस महक बहक याद जवाब ज़मीन नज़र खुशबू खुश शायरी


4216
मुझसे रूठकर वो खुश हैं,
तो शिकायत ही कैसी...
मैं उनको खुश भी ना देखूं तो,
हमारी मोहब्बत ही कैसी.......!

4217
खुश नसीब होते हैं बादल,
जो दूर रहकर भी ज़मीनपर बरसते हैं...
और एक बदनसीब हम हैं,
जो एक ही दुनियामें रहकर भी,
मिलनेको तरसते हैं.......

4218
तेरी यादोंकी खुशबूसे,
हम महकते रहतें हैं...!
जब जब तुझको सोचते हैं,
बहकते रहतें हैं.......!

4219
एक नज़र देखकर,
सौ ऐब निकाले मुझमें...
मैं फिर भी खुश हूँ,
मुझे गौरसे देखा उसने...!

4220
सिर्फ खुशबू रही,
गुलाब नही...
तेरी यादोंका भी,
जवाब नहीं.......!

5 May 2019

4211 - 4215 पहचान आँख जुबां समझ कतारें नजारे रंग शोर गुमान मोहब्बत बर्बाद खामोशी शायरी


4211
खामोशीसे बनाते रहो,
पहचान अपनी...
हवाएँ खुदखुद गुनगुनाएगी,
नाम तुम्हारा.......!

4212
आँखोंकी भाषा पढना सीखो,
खामोशीको चुपकेसे सुनना सीखो;
शब्द बिना बोले लबसे,
जुबांकी भाषा समझना सीखो...

4213
कतारें थककर भी खामोश हैं,
नजारे बोल रहे हैं;
नदी बहकर भी चुप हैं,
मगर किनारे बोल रहे हैं;
ये कैसा जलजला आया हैं इन दिनों...
झोंपडी मेरी खडी हैं,
महल उनके डोल रहे हैं...

4214
खामोश रहती हैं वो तितली,
जिसके रंग हज़ार हैं...
और शोर करता रहा वो कौवा,
ना जाने किस गुमानपर.......!

4215
इतने भी खामोश क्यों बैठे हो यारों...
बारिश खत्म हुई हैं
मोहब्बतमें बर्बादी तो,
अब भी जारी हैं.......

4 May 2019

4206 - 4210 बात इल्ज़ाम अल्फ़ाज़ इज़हार ख्यालात मतलब वक्त शिकायत रूठी रिश्ता खामोशी शायरी


4206
चुपचाप सुलगते हैं सीनेमें,
अपनी खामोशियोके साथ...
ये बात और हैं,  धुंआ उठा,
मेरे जल जानेके बाद.......!

4207
मुझपर खामोशीका,
इल्ज़ाम लगाने वाले;
किसी शाम मेरी उदासियाँ भी,
तो कर सुन.......

4208
खामोश ही रहे अल्फ़ाज़,
इज़हार कर ख्यालातका;
जाने कौन क्या मतलब निकाल ले,
उनकी किसी बातका.......!

4209
एक बात कहुँ,
वक्त मिला तो,
बात कर लिया करो...
खामोशिया रिश्तोको,
तोड़ देती हैं.......

4210
ध्यान रहे कि,
रूठी हुई खामोशीसे...
बोलती हुई शिकायतें,
अच्छी होती हैं.......!

3 May 2019

4201 - 4205 वक्त हालात ल़फ्ज रिश्ता खिलाफ जवाब गहरे खामोशी शायरी


4201
वक्त और हालातने,
ऐसा बना दियाहैं...
किसीके ल़फ्ज चुभते हैं,
तो किसीकी खामोशी...

4202
'खामोशी' बहुत अच्छी है,हैं
कई रिश्तोंकी आबरू...,
ढक लेती हैं...!

4203
खामोशीका भी अपना,
रुतबा होता हैं...
बस समझने वाले,
कम होते हैं.......!

4204
"अपने खिलाफ बाते,
खामोशीसे सुनता रहता हूँ;
जवाब देनेका ज़िम्मा,
मैंने वक्तको दे रखा हैं..."

4205
हम तो सोचते थे कि,
लफ्ज़ ही चोट करते हैं...
मगर कुछ खामोशियोंके ज़ख्म तो,
और भी गहरे निकले.......!

2 May 2019

4196 - 4200 दुनिया खबर चुभन रूह जज़्बात दर्द ज़िद सुकून लिबास मुस्करा खामोशी शायरी


4196
मेरी ख़ूबीयो पर तो,
यहाँ सब खामोश रहते हैं;
चर्चा मेरे बुराईपे हो तो
गूँगे भी बोल पड़ते हैं...

4197
चुभनसी हैं इस खामोशीमें,
रूह बिखरकर रह जाती हैं;
बस कुछ अल्फाजभर दूरीपर हैं, वो सुकून...
जो समेट ले बिखरी रूहको.......

4198
जज़्बात कहते हैं,
खामोशीसे बसर हो जाए...
दर्दकी ज़िद हैं की,
दुनियाको खबर हो जाए...!

4199
शोर करते रहो तुम...
सुर्ख़ियोंमें आनेका...!
हमारी तो खामोशियाँ भी...
एक अखबार हैं.......

4200
ये जो मुस्कराहटका,
"लिबास" पहना हैं मैंने...
दरअसल "खामोशियोंको,
रफ़ू करवाया हैं मैंने.......