3 September 2016

527 दुनियाँ महफ़िल थक अकेले आवाज़ शायरी


527

Aawaj, Accost

कभी जो थक जाओ तुम,
दुनियाँकी महफ़िलोंसे...
तो मुझे आवाज़ दे देना,
हम आज भी अकेले रहते हैं !

When you will get Tired,
with the Gatherings of Life...
Then Accost me,
I live Alone even today !

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