9 September 2016

540 याद अजीब लोग बसेरा शहर गुरूर शायरी


540

Gurur, Pride

अजीब लोगोंका बसेरा हैं,
तेरे शहरमें;
गुरूरमें मिट जाते हैं,
मगर याद नहीं करते...

Strange people are residing,
In your City;
Perishes in Pride,
But don't Recall...

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